Ayodhya Ram Mandir में रामलला के दिव्य स्वरूप और आभूषणों के रहस्यो की विस्तृत जानकारी

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अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में भगवान श्रीराम के बाल रूप रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया जा चूका है । 500 साल के लंबे इंतज़ार के बाद अंततः भगवान राम अयोध्या में अपने भव्य मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं।

Ayodhya Ram Mandir की प्राण प्रतिष्ठा

रामलला का यह दिव्य स्वरूप देखकर भक्तों के मन में अटूट आस्था और भावुकता की लहर दौड़ गई। रामलला के श्रीविग्रह में उनके मस्तक पर चमकता हुआ स्वर्णिम मुकुट, मृदुल मुस्कान से विराजमान मुखमंडल, तेजस्वी नेत्र और दिव्य आभूषणों से सुसज्जित शरीर – सबकुछ ठीक वैसा ही दिखाई दे रहा है जैसा कि हमारे पुराणों में वर्णित है।

आइए जानते हैं कि रामलला के इस भव्य और दिव्य स्वरूप को बनाने में किन बातों का ध्यान रखा गया और उनके विभिन्न आभूषणों की क्या विशेषताएं हैं:

Ayodhya Ram Mandir: रामलला की मूर्ति निर्माण में विशेष बातें

Table of Contents

  • रामलला की भव्य मूर्ति का निर्माण मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगिराज ने किया है।
  • मूर्ति को ‘ब्लैक स्टोन’ यानि शालिग्राम पत्थर से तराशा गया है।
  • यह पत्थर दूध के अभिषेक से अछूता रहता है और कई हज़ार सालों तक टिका रह सकता है।
  • मूर्ति की ऊँचाई 51 इंच रखी गई है, जो एक 5 वर्षीय बालक की औसत लंबाई के अनुरूप है।
  • 51 इंच की ऊँचाई शुभ संख्या भी मानी जाती है।
  • मूर्ति 200 किलोग्राम का वज़न रखती है और कमलासन पर बैठे बाल स्वरूप में विराजमान है।
  • मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतारों का चित्रण भी किया गया है।
  • हनुमान जी और गरुड़ की मूर्तियाँ भी स्थापित की गई हैं।
Ram Lalla of Ayodhya Ram Mandir

Ayodhya Ram Mandir: रामलला के दिव्य आभूषण और वस्त्र

रामलला को पौराणिक वर्णनों के अनुरूप निम्न दिव्य आभूषण और वस्त्रों से सुशोभित किया गया है:

मुकुट या किरीट

  • स्वर्ण से बना यह मुकुट उत्तर भारतीय परंपरानुसार बनाया गया है।
  • इसमें हीरे, माणिक्य और पन्ने जड़े हैं।
  • मुकुट के बीच में भगवान सूर्य का चिन्ह अंकित है।
  • मुकुट के दाएँ मोतियों की लड़ियाँ लगी हैं।

कुण्डल

  • मुकुट के अनुरूप स्वर्ण से बने ये कानों के कुण्डल भी हीरों और माणिक्य से सजे हुए हैं।
  • इन पर मयूरों की आकृतियाँ बनी हुई है।
  • यह भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित है

कंठा

  • गले में अर्द्धचंद्राकार हीरों से जड़ित कंठा सुशोभित है।
  • इसपर मांगलिक पुष्प और सूर्य देव की मूर्ति बनी है।
  • सोने से बना यह कंठा हीरों, माणिक्य और पन्नों से सजा हुआ है।
  • इसके नीचे पन्ने की लड़ियाँ लगी हैं।

कौस्तुभ मणि

  • भगवान के हृदय में एक बड़ा कौस्तुभ मणि प्रतिष्ठित किया गया है।
  • यह शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु और उनके अवतारों का प्रतीक है।
  • इसे हीरों और माणिक्य से सजाया गया है।

वैजयंती माला

  • यह स्वर्ण से बनी लंबी माला भगवान को पहनाई गई है।
  • इसमें माणिक्य भी जड़े हुए हैं।
  • यह विजय का प्रतीक मानी जाती है।
  • इसपर वैष्णव चिह्न और पांच प्रकार के पुष्पों की आकृतियाँ बनी हैं।

कमरबंद

  • कमर में स्वर्ण से बनी रत्न जड़ित कमरबंद पहनाई गई है।
  • इसपर प्राकृतिक चित्रकारी की गई है।
  • छोटी घंटियाँ और मोतियों की लड़ियाँ लगी हुई हैं।

भुजबंध

  • दोनों भुजाओं में सोने और रत्नों से जड़े भुजबंध पहनाए गए हैं।

कंगन और मुद्रिकाएँ

  • हाथों में स्वर्ण के रत्न जड़ित कंगन पहने गए हैं।
  • मुद्रिकाओं में भी मोतियों से सजी मुद्रिकाएँ हैं।

पैरों के आभूषण

  • पैरों में सोने की पैजनियाँ और छड़े पहनाए गए हैं।
  • बाएँ हाथ में स्वर्ण धनुष और दाएँ हाथ में स्वर्ण बाण है।
  • गले में फूलों की माला पहनाई गई है।
  • मस्तक पर मंगल तिलक लगा हुआ है।

वस्त्र

  • रामलला पीतांबर धोती और लाल रंग के अंगवस्त्र में विराजमान हैं।
  • इन पर स्वर्ण की जड़ी हुई ज़री और वैष्णव चिह्न अंकित हैं।
  • ये वस्त्र परम्परागत बनारसी शैली के हैं।

इस प्रकार रामलला को पौराणिक विवरणों के अनुरूप दिव्य स्वरूप प्रदान किया गया है, जो उनकी महिमा को प्रकट करता है और भक्तों के मन में उनके प्रति अटूट श्रद्धा जगाता है।

Ayodhya Ram Mandir की वास्तुकला और निर्माण शैली

Ayodhya Ram Mandir की वास्तुकला और निर्माण शैली

भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है। इसकी कुछ मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • मंदिर की लंबाई पूर्व-पश्चिम में 380 फीट है।
  • चौड़ाई 250 फीट और ऊँचाई 161 फीट है।
  • मंदिर को 392 स्तंभों और 44 द्वारों से समर्थित किया गया है।
  • स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं और देवियों के चित्रण किए गए हैं।
  • मंदिर में 5 मंडप हैं – नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप।
  • मंदिर परिसर में एक ऐतिहासिक कुआँ भी है जिसे सीता कूप के नाम से जाना जाता है।
  • मंदिर के दक्षिण-पश्चिम में भगवान शिव का मंदिर और जटायु की मूर्ति स्थापित की गई है।
  • मंदिर की नींव 14 मीटर मोटी आरसीसी की परत पर बनाई गई है।
  • मंदिर में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया।
  • 21 फुट ऊँचे चबूतरे से मंदिर को नमी से सुरक्षित रखा गया है।
  • मंदिर में सभी आधुनिक सुविधाएँ जैसे सीवर ट्रीटमेंट, वॉटर ट्रीटमेंट, फायर सेफ्टी, बिजली आदि उपलब्ध कराई गई हैं।
  • मंदिर का निर्माण पूरी तरह भारतीय परंपरागत शैली और तकनीक से किया गया है।

इस प्रकार भव्य श्रीराम मंदिर में पारंपरिक भारतीय वास्तुकला और नवीनतम तकनीक का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए भारतीय संस्कृति और विरासत की स्मृति को संजोए रखने का प्रतीक बनकर उभरा है।

Ayodhya Ram Mandir निर्माण में शामिल संस्थान और कारीगर

श्रीराम मंदिर निर्माण की यह भव्य परियोजना कई संस्थाओं और कलाकारों के योगदान से संभव हो पाई है। प्रमुख रूप से:

  • ललारसन स्टोन क्राफ्ट: मंदिर के पत्थरों की कारीगरी
  • टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड: मंदिर निर्माण हेतु परामर्श एवं प्रबंधन
  • L&T निर्माण: मंदिर निर्माण का कार्य
  • अरुण योगिराज: रामलला मूर्ति निर्माण
  • मनीष त्रिपाठी: रामलला के वस्त्र निर्माण
  • हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स: रामलला के आभूषण निर्माण
  • शिल्पमंजरी: फूलों की माला निर्माण

इन सभी संस्थाओं और कलाकारों का बहुमूल्य योगदान रहा है जिन्होंने अपनी कौशलता और कड़ी मेहनत से भगवान राम के इस भव्य आवास को बनाने में सहयोग किया है।

Please watch the web story about Ram lalla:

Ayodhya Ram Mandir निर्माण की पूरी प्रक्रिया

श्रीराम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया में कई चरण शामिल रहे हैं:

भूमि पूजन (1989) – पहला चरण रामजन्मभूमि पर भूमि पूजन का था।

नक्शा तैयारी (1990-91) – अगले चरण में मंदिर के लिए नक्शे तैयार किए गए।

शिलान्यास (1990) – तत्पश्चात नए मंदिर के लिए शिलान्यास हुआ।

निर्माण की याचिका (2002) – 2002 में मंदिर निर्माण के लिए याचिका दायर की गई।

सर्वेक्षण और डिज़ाइन (2007-08) – 2007-08 में साइट का सर्वेक्षण किया गया और मंदिर का डिज़ाइन तैयार हुआ।

भूमि अधिग्रहण (2010) – 2010 में मंदिर निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण किया गया।

मंदिर निर्माण शुरू (2020) – अंत में 2020 में मंदिर के निर्माण की शुरुआत हुई।

प्राण प्रतिष्ठा (2024) – 2024में भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूरी हुई।

इस प्रकार लगभग 30 वर्षों के लंबे संघर्ष, प्रयास और इंतज़ार के बाद भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा हो पाया। यह एक ऐतिहासिक घटना थी जिसने करोड़ों भारतवासियों के दशकों पुराने सपने को साकार किया।

Ayodhya Ram Mandir निर्माण का महत्व

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का देश और हिंदुओं के लिए बहुत बड़ा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है:

  • यह हिंदुओं की आस्था की धरोहर को पुनःस्थापित करता है।
  • भारत की सांस्कृतिक विरासत और कलात्मक परंपरा को संजोता है।
  • राष्ट्रीय एकता और सद्भाव का प्रतीक है।
  • हिंदुओं के लिए तीर्थस्थल के रूप में महत्व रखता है।
  • आने वाली पीढ़ियों को भारतीय संस्कृति से जोड़े रखने में मदद करेगा।

अतः यह एक ऐतिहासिक घटना है जिसपर हर भारतवासी को गर्व है। यह मंदिर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की झलक प्रस्तुत करता है।

Ayodhya Ram Mandir पर प्रमुख प्रश्न और उत्तर( FAQs)

प्रश्न 1: राम मंदिर कहाँ स्थित है?

उत्तर: भव्य राम मंदिर का निर्माण उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में रामजन्मभूमि परिसर में किया गया है। यह हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है।

प्रश्न 2: राम मंदिर किस शैली में बनाया गया है?

उत्तर: राम मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है जो भारत की पारंपरिक हिंदू मंदिर वास्तुकला है। इसमें स्तंभ, द्वार और छतों का विशिष्ट ढंग से निर्माण किया गया है।

प्रश्न 3: राम मंदिर कितने वर्षों में बनकर तैयार हुआ?

उत्तर: राम मंदिर का निर्माण 1989 से भूमि पूजन से शुरू होकर लगभग 30 वर्षों में पूरा हुआ।

प्रश्न 4: रामलला कौन हैं?

उत्तर: रामलला भगवान राम के बाल रूप को कहा जाता है जिनकी मूर्ति को अब राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया है।

प्रश्न 5: रामलला के आभूषण किसने बनाए?

उत्तर: रामलला के स्वर्णिम आभूषण लखनऊ के हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने बनाए हैं। इनमें सोना, हीरे और अन्य रत्न जड़े हुए हैं।

प्रश्न 6: राम मंदिर के गर्भगृह में क्या है?

उत्तर: राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की पवित्र मूर्ति स्थापित की गई है। यह गर्भगृह मंदिर का सबसे पवित्र स्थान है।

प्रश्न 7: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कब हुई?

उत्तर: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा राम मंदिर में 22 जनवरी 2024को हुई। इस ऐतिहासिक दिन को भव्य रूप से मनाया गया।

Ayodhya Ram Mandir: सारांश

चलिए इन प्रमुख बिन्दुओ के माध्यम से इस आर्टिकल के Conclusions में आते है

  • भव्य अयोध्या राम मंदिर निर्माण एक ऐतिहासिक घटना है।
  • रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से भक्तों की शताब्दियों पुरानी आकांक्षा पूरी हुई।
  • रामलला के दिव्य स्वरूप और आभूषण पौराणिक वर्णनों के अनुरूप हैं।
  • मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया।
  • यह हिंदुओं की आस्था और संस्कृति का केंद्र बिंदु है।
  • राम मंदिर से जुड़े कई तथ्य ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं।

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