आशुतोष महाराज और उनकी शिष्या गुरु माँ आशुतोषांबरी की समाधि लेने के पीछे की अनोखी कहानी
दिव्य ज्योति जागृत संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज पिछले 10 साल से समाधि में हैं। अब हाल ही में उनकी शिष्या गुरु माँ आशुतोषांबरी ने भी अपने गुरु आशुतोष महाराज को जगाने के लिए समाधि ले ली है, जिससे पूरे देश में सनसनी फैल गई है। गुरु माँ आशुतोषांबरी के शरीर को सुरक्षित करने के लिए उनके भक्तगण हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
आश्रम में उपस्थित अन्य भक्तो का कहना है कि आशुतोष महाराज, जो 10 साल पहले गहन समाधि में चले गए थे, ने अपनी शिष्या आशुतोषांबरी (Ashutoshambari) को एक रहस्यमयी आंतरिक संदेश भेजा है। इस संदेश में उन्होंने कहा है कि वे समाधि से वापस आना चाहते हैं, परंतु कुछ लोग उन्हें डीप फ्रीजर में कैद करके रखे हुए हैं, जिसके कारण वे वापस नहीं आ पा रहे हैं।
आशुतोषांबरी (Ashutoshambari) ने गुरु के इस संदेश को सुनकर 28 जनवरी 2024 को गुरु को समाधि से वापस लाने के लिए स्वयं समाधि ले ली। आश्रम के लोगों का दावा है कि आशुतोषांबरी की सांसें बंद हो चुकी हैं, परंतु ECG मशीन में अभी भी हलचल दिखाई दे रही है।
यह घटना रहस्य और आश्चर्य से भरी हुई है। क्या आशुतोषांबरी सचमुच गुरु को समाधि से वापस ला पाएंगी? क्या आशुतोष महाराज सचमुच डीप फ्रीजर में कैद हैं? या यह सब कुछ केवल आस्था का खेल है?
यह कहानी आस्था, रहस्य और विज्ञान का मिश्रण है। आने वाले समय में ही पता चलेगा कि इस कहानी का सच क्या है।
आइए जानते हैं इस अनोखे मामले के पीछे की पूरी कहानी –
आशुतोष महाराज कौन हैं?
- आशुतोष महाराज का असली नाम महेश कुमार झा था।
- वह 1946 में बिहार के मधुबनी में एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे।
- जर्मनी में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने आध्यात्म की ओर रुख किया।
- आशुतोष महाराज ने हिमालय और वाराणसी में कई साधु-संतों से आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की।
- 1983 में उन्होंने दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना की।
आशुतोष महाराज ने कब और क्यों ली थी समाधि?
- 28 जनवरी 2014 को आशुतोष महाराज ने समाधि ले ली थी।
- उन्होंने अपने शिष्यों से कहा था कि वे जल्द ही वापस लौटेंगे।
- शिष्यों ने उनका शरीर फ्रीजर में सुरक्षित रखा हुआ है।
- मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार आशुतोष महाराज का निधन हो चुका है।
गुरु माँ आशुतोषांबरी (Ashutoshambari) कौन हैं?
- गुरु माँ आशुतोषांबरी आशुतोष महाराज की एक शिष्या है ।
- वह बिहार की रहने वाली थीं और दिल्ली में ‘दीक्षा’ प्राप्त की थी।
- फिर वह लखनऊ के आनंद आश्रम में आ गई थीं।
- वह आध्यात्म पर प्रवचन देती थीं।
गुरु माँ आशुतोषांबरी (Ashutoshambari) ने कब और क्यों ली समाधि?
- 28 जनवरी 2024 को गुरु माँ आशुतोषांबरी ने सुबह 4:33 बजे समाधि ले ली।
- उन्होंने गुरु आशुतोष महाराज को समाधि से वापस लाने के लिए यह कदम उठाया।
- एक वीडियो संदेश में उन्होंने अपने शिष्यों से अपना शरीर सुरक्षित रखने को कहा था।
- उनके शिष्यों ने कोर्ट में उनके शरीर की सुरक्षा के लिए याचिका दायर की है।
गुरु माँ आशुतोषांबरी (Ashutoshambari) की समाधि पर विवाद
- कुछ लोगों ने इसे पाखंड और अंधविश्वास बताया है।
- कई वैज्ञानिकों ने जांच की मांग की है।
- लेकिन शिष्य इसे सच मानते हैं और आश्रम के बाहर भीड़ जमा है।
- 12 दिन बाद भी गुरु माँ आशुतोषांबरी का शरीर सुरक्षित है।
- ईसीजी (ECG ) में कुछ गतिविधि दिखी है लेकिन शरीर के अन्य हिस्से काम नहीं कर रहे हैं।
विज्ञान और अध्यात्म के बीच बहस
- एक तरफ आधुनिक विज्ञान है तो दूसरी तरफ ऐसा दावा।
- शिष्यों का कहना है कि गुरु और शिष्या दोनों समाधि से लौटेंगे।
- वैज्ञानिक इसे सिर्फ एक दावा मानते हैं, सच नहीं।
- अगर यह सच साबित होता है तो विज्ञान के लिए बड़ा झटका होगा।
आशुतोष महाराज और गुरु माँ आशुतोषांबरी की समाधि लेने का उद्देश्य
- शिष्यों का मानना है कि गुरु और शिष्या दोनों विश्व शांति और कल्याण के लिए समाधि में हैं।
- वे जल्द ही समाधि से बाहर आएंगे और फिर से लोगों का मार्गदर्शन करेंगे।
- उनके अनुयायी इस बात पर पूरा भरोसा रखते हैं।
समाधि लेने के बाद भी शरीर कैसे सुरक्षित रह सकता है?
- शरीर को नियंत्रित तापमान और आर्द्रता वाले वातावरण में रखकर।
- शरीर को विशेष रसायनों से संरक्षित करके।
- ऑक्सीजन की कमी से नाड़ियों और ऊतकों को बचाकर।
- मेटाबॉलिक गतिविधि कम करके।
समाधि लेने के बाद जिंदा होने पर वैज्ञानिक रुख
- वैज्ञानिकों का कहना है कि लंबे समय तक समाधि में रहने के बाद शरीर में गंभीर नुकसान हो सकता है।
- दिमाग में ऑक्सीजन की कमी से न्यूरॉन्स को नुकसान हो सकता है।
- मांसपेशियों में क्षति और कमजोरी आ सकती है।
- अंगों के काम करने में दिक्कतें हो सकती हैं।
- लेकिन अगर कोई व्यक्ति समाधि से सही सलामत लौटता है तो यह विज्ञान के लिए बड़ी चुनौती होगी।
विज्ञान और आस्था के बीच
- एक तरफ हम विज्ञान की उन्नति कर रहे हैं।
- दूसरी तरफ ऐसी घटनाएं सवाल खड़े करती हैं।
- शिष्य अपनी गुरु के शरीर को 11 दिन तक सुरक्षित रखने में कामयाब रहे हैं।
- अगर उनमें पूरी तरह जान आ जाती है तो यह चमत्कारिक होगा।
- इससे विज्ञान और आस्था के बीच की खाई और गहरी हो जाएगी।
समाधि पर विज्ञान का क्या कहना है?
- विज्ञान के अनुसार, समाधि में जाने पर शरीर की सारी गतिविधियां बंद हो जाती हैं।
- दिल की धड़कन, श्वसन और मेटाबॉलिज्म ठप्प हो जाता है।
- ऐसी स्थिति में शरीर ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह सकता।
- कुछ मामलों में कम तापमान पर शरीर को सुरक्षित रखा जा सकता है।
- लेकिन व्यक्ति को वापस जिंदा कर पाना संभव नहीं है।
समाधि पर आस्था क्या कहती है?
- आस्था के अनुसार, योगी समाधि में जाकर अपनी क्रियाओं को धीमा कर सकता है।
- यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है जिससे शरीर पर कंट्रोल होता है।
- इसे सिद्ध होने के बाद व्यक्ति अपनी इच्छा से समाधि ले सकता है।
- योगी जब चाहे तब समाधि से बाहर आ सकता है।
- लेकिन यह दुर्लभ सिद्धि है जिसे कम ही लोग प्राप्त कर पाते हैं।
आशुतोष महाराज और उनकी शिष्या आशुतोषांबरी की समाधि पर Web Story देखें
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
सवाल: आशुतोष महाराज कब समाधि में चले गए?
उत्तर: आशुतोश महाराज ने 28 जनवरी 2014 को समाधि ले ली थी।
सवाल: गुरु माँ आशुतोषांबरी ने समाधि क्यों ली?
उत्तर: अपने गुरु आशुतोष महाराज को समाधि से वापस लाने के लिए उन्होंने समाधि ली।
सवाल: गुरु माँ आशुतोषांबरी कब समाधि में गई?
उत्तर: 28 जनवरी 2024 को आशुतोषांबरी ने सुबह 4:33 बजे समाधि ली।
सवाल: आशुतोष महाराज का असली नाम क्या है?
उत्तर: आशुतोष महाराज का असली नाम महेश कुमार झा है।
सवाल: गुरु माँ आशुतोषांबरी कहां की रहने वाली हैं?
उत्तर: आशुतोषांबरी बिहार की रहने वाली हैं।
सवाल: आशुतोष महाराज ने कब दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना की थी?
उत्तर: आशुतोष महाराज ने 1983 में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना की थी।
सवाल: गुरु माँ आशुतोषांबरी का शरीर किसने सुरक्षित रखने के लिए अर्जी दायर की?
उत्तर: आशुतोषांबरी के शिष्यों ने उनके शरीर को सुरक्षित रखने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की।
निष्कर्ष
- आशुतोष महाराज और गुरु माँ आशुतोषांबरी (Ashutoshambari) की समाधि ने विज्ञान और आस्था के बीच की दूरी को और बढ़ा दिया है।
- विज्ञान के लिए यह मानना मुश्किल है कि वे वापस जीवित हो सकते हैं।
- लेकिन उनके शिष्यों का कहना है कि यह संभव है।
- आने वाला समय ही यह तय करेगा कि इस रहस्य को कौन सुलझा पाता है।
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