अपडेटेड जानकारी : साध्वी आशुतोशाम्बरी और स्वामी अशुतोष महाराज की समाधि पर

स्वामी अशुतोष महाराज और साध्वी आशुतोशाम्बरी : समाधि की परंपरा या विवादित कृत्य?

साधु-संतों के प्रति आस्था हमारे देश में गहरी है। लेकिन अगर उनके किसी कृत्य पर सवाल उठें, तो उससे लोगों की भावनाएं भी आहत होती हैं। ऐसा ही कुछ हो रहा है स्वामी अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj) और साध्वी आशुतोशाम्बरी (Sadhvi Ashutoshambari) के मामले में। दोनों के समाधि लेने को लेकर विवाद जारी है। इस बारे में कुछ तथ्य सामने आए हैं, जिनसे पूरा मामला स्पष्ट हो गया है।

आध्यात्मिक विवाद: साध्वी आशुतोषांबरी की लंबित समाधि

परंपरागत आध्यात्मिक अनुष्ठानों और आधुनिक विज्ञान के बीच एक विवादास्पद मुद्दा उभरा है, जब लखनऊ के आनंद आश्रम में साध्वी आशुतोषांबरी (Sadhvi Ashutoshambari) की समाधि का समय बढ़ता गया। चूंकि वे अपने गुरु आशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj) से संवाद करने के लिए समाधि में गईं थीं, लेकिन एक महीने बाद भी वापस नहीं आईं, यह घटना चिंता का विषय बन गई है।

साध्वी आशुतोशाम्बरी और स्वामी अशुतोष महाराज की समाधि परअपडेटेड जानकारी

आश्रम के अनुयायियों का विश्वास है कि साध्वी अभी भी समाधि में हैं और उन्हें वापस लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वे उनके शरीर पर जड़ी-बूटियों का लेप लगाकर और एक कोल्ड चैंबर स्थापित करके उसे संरक्षित करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, चिकित्सकों का मानना है कि समाधि अब साध्वी की मृत्यु है।

यह विवाद न केवल धार्मिक आस्थाओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोणों के बीच टकराव को उजागर करता है, बल्कि मानवीय शरीर के संरक्षण और कानूनी प्रावधानों के बारे में भी प्रश्न उठाता है। जबकि आश्रम के अनुयायी आशुतोषांबरी (Sadhvi Ashutoshambari) के शरीर को लंबे समय तक रखने की अनुमति मांग रहे हैं, कानूनी निहितार्थ अभी स्पष्ट नहीं हैं। यह घटना न केवल धार्मिक विश्वासों और विज्ञान के बीच संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि शरीर के संरक्षण और मानवीय गरिमा के बारे में भी गंभीर प्रश्न उठाती है।

साध्वी आशुतोशाम्बरी (Sadhvi Ashutoshambari) अपडेट

28 जनवरी 2024 को साध्वी आशुतोशाम्बरि के समाधि लेने के बाद से उनकी स्थिति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

आश्रम प्रबंधन का कहना है कि साध्वी आशुतोशाम्बरि “केवल समाधि लेने के लिए बैठी हैं और वे किसी भी समय वापस आ सकती हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि उनका शरीर को सुरक्षित रखा गया है ताकि उनके वापस आने पर उन्हें कोई परेशानी न हो।

हालांकि, कुछ लोग इस दावे पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं। उनका मानना है कि 48 दिन बीत जाने के बाद भी साध्वी जी का वापस न आना संकेत देता है कि वे वास्तव में समाधि ले चुकी हैं।

एक पूर्व शिष्य ने कहा, “हमारा मानना है कि गुरुदेव और साध्वी जी अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनके शरीरों का सम्मान के साथ दाह संस्कार किया जाना चाहिए।”

नवीनतम अपडेट: साध्वी आशुतोशाम्बरि की समाधि
साध्वी आशुतोशाम्बरि की समाधि

वहीं, आश्रम प्रशासन लगातार कह रहा है कि वे गुरुदेव और साध्वी जी के आदेशों का पालन कर रहे हैं। उनके मुताबिक, यह एक पुरानी और गौरवशाली परंपरा है, जिसमें संतों के शरीरों को कुछ समय के लिए सुरक्षित रखा जाता है।

अदालत में दायर की गई है याचिका

जानकारी के अनुसार आश्रम प्रशासन ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है । इलाहाबाद हाई कोर्ट में साध्वी आशुतोशाम्बरी (Sadhvi Ashutoshambari) के उनके वापस लौटने तक उनके शरीर को डीप फ्रिज में रख कर सुरक्षित रखने हेतु याचिका दायर की गयी है।

हाई कोर्ट के आदेश का उनके भक्तगण इंतज़ार कर रहे है।

लोगों की राय

इस पूरे मामले पर लोगों में मतभेद है। कुछ लोग तो इसे पूरी तरह से अनुचित और अमानवीय बता रहे हैं। वहीं, कुछ लोग इसे पुरानी परंपरा और संतों के प्रति सम्मान बता रहे हैं।

हालांकि, अधिकतर लोगों का मानना है कि अगर स्वामी जी वापस नहीं आते हैं, तो उनके शरीर का दाह संस्कार कर देना चाहिए। क्योंकि हिंदू धर्म में इसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

स्वामी अशुतोष महाराज की पृष्ठभूमि
स्वामी अशुतोष महाराज

स्वामी अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj) की पृष्ठभूमि

इस विवाद को समझने के लिए, हमें स्वामी अशुतोष महाराज की पृष्ठभूमि पर नज़र डालनी होगी। स्वामी जी का जन्म महेश कुमार झा के रूप में 1946 में मधुबनी जिले के लखनौर में एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

1970 के दशक में स्वामी जी दिल्ली आए और धर्म प्रचार शुरू किया। उन्होंने कई लोगों को अपना शिष्य बनाया, जिनमें साध्वी आशुतोशाम्बरि भी शामिल थीं।

आशुतोष महाराज ने 1983 में नूरमहल, पंजाब में एक गैर-आध्यात्मिक आध्यात्मिक संगठन के रूप में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना की।

1986 में उन्होंने शक्तिपीठ आश्रम की स्थापना की, जिसका मुख्यालय लखनऊ में है।

स्वामी अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj) अपनी सादगी, विनम्रता और भक्तों के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते थे। उनके लाखों अनुयायी पूरे देश में थे। 28 जनवरी 2014 को उन्होंने भी समाधि ले ली और उनका शरीर फ्रीजर में रखा गया।

इस तरह, स्वामी अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj)और साध्वी आशुतोशाम्बरि (Sadhvi Ashutoshambari) दोनों की समाधि से जुड़ा विवाद एक पुरानी परंपरा और लोगों की आस्थाओं के बीच टकराव को दर्शाता है। एक ओर जहां आश्रम प्रबंधन इसे धार्मिक रीति-रिवाज बता रहा है, वहीं दूसरी ओर लोग इसे अनुचित और अमानवीय कह रहे हैं।

समाधि लेने का विवाद

28 जनवरी 2014 को स्वामी अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj)ने समाधि ले ली। इसके बाद उनके शरीर को एक डीप फ्रीजर में रखा गया। आश्रम प्रबंधन का कहना है कि वह केवल सोए हुए हैं और वापस आएंगे। हालांकि, लोग इस दावे को लेकर संशय व्यक्त कर रहे हैं।

लगभग 10 वर्षो के बाद साध्वी आशुतोशाम्बरी (Sadhvi Ashutoshambari) ने भी 28 जनवरी 2024 को समाधि ले ली है । वह अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj) की प्रमुख शिष्या थीं और आश्रम का संचालन करती थीं। उनके समाधि लेने से भी लोगों में हैरानी है।

कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि शरीर को फ्रीजर में रखना धर्म के खिलाफ है। वहीं, आश्रम प्रबंधन इसे एक पुरानी और गौरवशाली परंपरा बता रहा है।

साध्वी आशुतोशाम्बरी और स्वामी अशुतोष महाराज
साध्वी आशुतोशाम्बरी और स्वामी अशुतोष महाराज

समाधि के तरीके पर सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या समाधि लेने का यही तरीका है? बहुत से लोग इसे अनुचित मान रहे हैं। उनका कहना है कि अन्य संतों ने समाधि लेते समय अलग तरीके अपनाए थे।

आश्रम प्रशासन का तर्क है कि यह एक पुरानी परंपरा है। लेकिन इस दावे के बावजूद भी लोग इसे विवादित मान रहे हैं। कुछ लोग तो इसे अमानवीय भी कह रहे हैं।

Frequently Asked Questions (FAQs)

Q. क्या संतों और महात्माओं के शरीरों को फ्रीजर में रखना उचित है?

A. अधिकतर धार्मिक विशेषज्ञों और लोगों का मानना है कि शरीर को फ्रीजर में रखना उचित नहीं है। हालांकि, यह एक विवादास्पद मुद्दा है और अदालत ने भी इसे बेहद सख्त शर्तों के साथ मंजूरी दी है। आखिरकार शरीर का दाह संस्कार करना ही सर्वोत्तम समाधान माना जाता है।

Q. साध्वी आशुतोशाम्बरी (Sadhvi Ashutoshambari) कौन थीं?

A. साध्वी आशुतोशाम्बरी, स्वामी अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj) की प्रमुख शिष्या थीं। वह शक्तिपीठ आश्रम का संचालन करती थीं। 28 जनवरी 2024 को उन्होंने भी समाधि ले ली थी और उनका शरीर भी सुरक्षित रखा गया है।

शक्तिपीठ आश्रम

Q. शक्तिपीठ आश्रम क्या है?

A. शक्तिपीठ आश्रम एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जिसकी स्थापना 1986 में स्वामी अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj)ने की थी। इसका मुख्यालय लखनऊ में स्थित है। यहां कई धार्मिक गतिविधियां होती रहती हैं और करीब 100 से अधिक लोग रहते हैं।

Q. अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj) के शरीर को कितने डिग्री तापमान पर रखा गया है?

A. आश्रम प्रबंधन के मुताबिक, स्वामी अशुतोष महाराज के शरीर को लगभग 9 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर फ्रीजर में रखा गया है।

Q. क्या देश में ऐसे और भी मामले सामने आए हैं?

A. हां, भारत में कुछ और भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां संतों और महात्माओं के शरीरों को दफनाने या फ्रीजर में रखने की कोशिश की गई है। हालांकि, ये सभी मामले काफी विवादित रहे हैं और अंत में शरीरों का दाह संस्कार ही किया गया है।

साध्वी आशुतोशाम्बरी (Sadhvi Ashutoshambari) पर बनाया गया इस Web Story को भी देखे

आशुतोशाम्बरी अपडेट पर निष्कर्ष

स्वामी अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj)और साध्वी आशुतोशाम्बरी (Sadhvi Ashutoshambari)के शरीरों को फ्रीजर में रखने का मामला काफी विवादित रहा है। लोगों में इसको लेकर मतभेद है, लेकिन अधिकांश का मानना है कि अगर वे वापस नहीं आते हैं, तो उनका दाह संस्कार करना ही उचित होगा।

आश्रम प्रबंधन ने साध्वी आशुतोशाम्बरी (Sadhvi Ashutoshambari)के शरीर को सुरक्षित रखने के लिए high court का दरवाजा खट-खटाया है । यह देखना होगा कि न्यायालय क्या आदेश देती है । लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि धर्म से जुड़े मामलों में भी लोगों की भावनाओं का ख्याल रखना अहम है।

डिस्क्लेमर: 

यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। हिंदी विनी मीडिया किसी भी तरह से स्वामी अशुतोष महाराज (Swami Ashutosh Maharaj), साध्वी आशुतोशाम्बरी (Sadhvi Ashutoshambari) या शक्तिपीठ आश्रम से जुड़े किसी भी पक्ष का समर्थन या विरोध नहीं करता है। लेख में उल्लिखित तथ्य विभिन्न सार्वजनिक स्रोतों से लिए गए हैं।

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