पीएम मोदी ने क्यों कहा: बचाएं विपश्यना की विरासत, आधुनिक युग की जरूरत – विपश्यना ध्यान

विपश्यना (Vipassana): भगवान बुद्ध से लेकर S.N Goenka तक का सफर

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प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 4 फ़रवरी 2024 को अपने वीडियो संदेश के माध्यम से विपश्यना (Vipassana मेडिटेशन के आचार्य श्री एस एन गोएनका की 100वीं जयंती के समापन समारोह को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स म्बोधन में विपश्यना और ध्यान के महत्व पर प्रकाश डाला है। पीएम मोदी ने कहा कि विपश्यना भारत की एक अमूल्य विरासत है जिसे हमें संरक्षित करना चाहिए।

इस Article में हम PM Modi के सम्बोधन के अलावा विपश्यना और ध्यान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और आध्यात्मिक शक्ति के बारे में चर्चा करेंगे। हम देखेंगे कि विपश्यना जो की एक प्राचीन भारतीय परम्परा है और जिसकी खोज भगवान बुद्ध ने की थी, को कैसे आगे चलकर आचार्य एसएन गोएंका (Acharya S N Goenka) ने इसे फिर से लोकप्रिय बनाया और पुरे विश्व में इसका प्रसार किया । आज विपश्यना जीवनशैली संबंधी तनाव और मानसिक समस्याओं से निजात दिलाने में सक्षम है।

हम चर्चा करेंगे कि विपश्यना (Vipassana) क्या है, यह कैसे काम करती है और इसके क्या लाभ हैं। हम समझेंगे कि विपश्यना कैसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। हम यह भी देखेंगे कि व्यस्त जीवनशैली में विपश्यना को अपनाना क्यों महत्वपूर्ण है और आम लोग इसे अपने दैनिक जीवन में कैसे शामिल कर सकते हैं। अंत में, हम कुछ विपश्यना संबंधी भ्रामक धारणाओं के बारे में भी बात करेंगे। चलिए इस ब्लॉग पोस्ट को स्टार्ट करते है और सबसे पहले ये जानते है की प्रधान मंत्री मोदी ने एसएन गोयनका की 100वीं जयंती समापन समारोह में क्या कहा ?

Vipassana Meditation: क्या कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने

क्या कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने

एसएन गोएंका की 100वीं जयंती – एक प्रेरणास्पर्शी उत्सव

प्रधानमंत्री ने एसएन गोयनका की 100वीं जयंती समारोह को एक प्रेरणास्पर्शी उत्सव बताया। उन्होंने कहा कि आचार्य गोएंका ने विपश्यना (Vipassana और ध्यान को जीवन का अभिन्न अंग बनाने का प्रयास किया। हमें उनके कार्य को आगे बढ़ाते रहना चाहिए और और अधिक लोगों तक इसे पहुंचाना चाहिए।

आज के तनावपूर्ण जीवन में विपश्यना और ध्यान की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। व्यक्ति और समाज दोनों के लिए यह लाभदायक है। भारत को इन प्राचीन कलाओं को संरक्षित करना चाहिए और दुनिया को इनके लाभों से अवगत कराना चाहिए।

विपश्यना से एकता और एकजुटता की भावना , विकसित भारत की ओर एक साथ बढ़ रहे हैं – ध्यान और विपश्यना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एकता और एकजुटता विकसित भारत का आधार है। भगवान बुद्ध के उस मंत्र को दोहराते हुए जिसका अक्सर आचार्य एसएन गोएंका उपयोग करते थे, प्रधानमंत्री ने कहा “एक साथ ध्यान करने से प्रभावी परिणाम मिलते हैं। यह एकता और एकजुटता की भावना विकसित भारत का प्रमुख आधार है।”

ध्यान और विपश्यना (Vipassana)भारतीय परंपरा की अमूल्य देन

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विपश्यना प्राचीन भारत की एक अनोखी विरासत है जिसे हमने कुछ समय के लिए खो दिया था। आचार्य एसएन गोएंका ने 14 साल के तपस्या के बाद इस ज्ञान को फिर से हासिल किया और विश्व को दिया। आज विपश्यना और ध्यान को सिर्फ़ त्याग और वैराग्य से जोड़कर नहीं देखा जाता, बल्कि यह व्यक्तित्व विकास और आध्यात्मिक विकास का माध्यम बन गया है।

आचार्य गोएंका (Acharya S.N.Goenka) ने एक मिशन के तौर पर विपश्यना का प्रचार किया और 80 से ज़्यादा देशों में इसके महत्व को समझाया। योग की तरह विपश्यना भी अब विश्व में स्वीकार की जाती है और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।

तनावपूर्ण जीवनशैली का उपचार – विपश्यना (Vipassana) और ध्यान

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के युवा तनाव, व्यस्त कार्यक्रम और अस्वस्थ जीवनशैली के शिकार हैं। विपश्यना और ध्यान ऐसी स्थिति में मददगार साबित हो सकते हैं। यह मानसिक शांति और स्वास्थ्य का मार्ग दिखा सकते हैं।

न केवल युवा बल्कि परिवार के वरिष्ठ सदस्य भी मानसिक तनाव के शिकार होते हैं। विपश्यना और ध्यान से इन समस्याओं से राहत मिल सकती है। सभी को ऐसी गतिविधियों में भाग लेना चाहिए और वरिष्ठ नागरिकों को प्रोत्साहित करना चाहिए।

विपश्यना और ध्यान के वैज्ञानिक पक्ष को समझाना ज़रूरी

प्रधानमंत्री ने कहा कि विपश्यना और ध्यान केवल एक कला या अभ्यास नहीं है बल्कि एक विज्ञान है। इसके पीछे गहन अनुसंधान और तर्क है।

उन्होंने कहा कि भारत को आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से विपश्यना और ध्यान के सकारात्मक प्रभावों को साबित करना चाहिए। यह इन प्राचीन कलाओं को और अधिक लोकप्रिय और स्वीकार्य बनाएगा।

विपश्यना क्या है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई

विपश्यना (Vipassana) क्या है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई?

विपश्यना की खोज

विपश्यना की खोज का श्रेय भगवान बुद्ध को जाता है। बुद्ध ने बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान लगाकर ज्ञान प्राप्त किया था। इस दौरान उन्होंने विपश्यना अभ्यास किया। इसके बाद उन्होंने अपने अनुयायियों को भी विपश्यना सिखाई।

विपश्यना क्या है?

विपश्यना का अर्थ है – घटनाओं का जागरूकतापूर्वक अवलोकन। इसमें सांस की गति, शरीर के संवेगों और मन की गतिविधियों पर सतर्क नज़र रखी जाती है। इन सबका मन में विचार विमर्श किए बिना जागरूकतापूर्वक अवलोकन किया जाता है।

यह एक प्रकार का ध्यान की प्रक्रिया है जो माइंडफुलनेस यानी जागरूक चेतना की स्थिति लाती है।

विपश्यना (Vipassana) क्यों करें? इसके लाभ

विपश्यना शरीर और मन दोनों के लिए लाभदायक है। आइए देखें विपश्यना क्यों करनी चाहिए:

1. तनाव नियंत्रण

विपश्यना से माइंडफुलनेस बढ़ती है जिससे स्ट्रेस हार्मोन कम होते हैं। इससे तनाव और चिंता पर नियंत्रण बेहतर होता है।

2. स्पष्ट निर्णय लेने में मदद

विपश्यना करने से माइंड क्लियर होता है और फोकस बढ़ता है। इससे स्पष्ट निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।

3. दर्द से राहत

शारीरिक और मानसिक दर्द दोनो में विपश्यना से आराम मिलता है। यह दर्द निवारक के रूप में काम करता है।

4. नींद और भूख का नियमन

नियमित रूप से विपश्यना करने से नींद और भूख का नियमन बेहतर होता है।

इस तरह विपश्यना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है।

आम आदमी को विपश्यना क्यों करनी चाहिए?

आम आदमी को विपश्यना (Vipassana) क्यों करनी चाहिए?

आज के तनावपूर्ण जीवन में व्यस्त कार्यक्रमों के बीच स्वस्थ रहना मुश्किल हो गया है। ऐसे में विपश्यना जैसी प्राचीन पद्धति मददगार साबित हो सकती है।

विपश्यना कोई जटिल साधना नहीं है। इसे सीखना और अपनाना आसान है। 10 दिन के मार्गदर्शित कार्यक्रम से इसे सीखा जा सकता है। बाद में घर पर भी इसका अभ्यास किया जा सकता है।

रोज 20-30 मिनट का अभ्यास शुरू करने से ही तनाव, थकान, अनिद्रा जैसी सामान्य समस्याओं से राहत मिलनी शुरू हो जाती है।

इसलिए विपश्यना को रोजाना की दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। यह जीवन को स्वस्थ और संतुलित बनाएगा।

विपश्यना (Vipassana)को लेकर कुछ भ्रामक धारणाएं

कुछ लोगों के मन में विपश्यना को लेकर कुछ गलतफहमियां हैं, जैसे:

  • यह केवल पुराने या बुजुर्ग लोगों के लिए है: गलत, कोई भी आयु वर्ग विपश्यना का अभ्यास कर सकता है।
  • इसमें धार्मिक प्रवचन सिखाया जाता है: गलत, यह एक वैज्ञानिक तकनीक है।
  • यह महँगा और जटिल है: गलत, यह बिल्कुल सस्ता और सरल है।

इस तरह की भ्रामक धारणाओं को दूर कर विपश्यना को अपनाना चाहिए। यह जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ( FAQs)

विपश्यना क्या है?

विपश्यना एक प्रकार का ध्यान अभ्यास है जिसमें धीमे और गहरे श्वास लेकर अपने शरीर की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह एकाग्रता और आत्मबोध का मार्ग है।

विपश्यना और ध्यान में क्या अंतर है?

विपश्यना एक विशिष्ट प्रकार का ध्यान है। ध्यान की अन्य विधियों में मंत्रों या विचारों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। विपश्यना में केवल श्वास पर ध्यान दिया जाता है।

विपश्यना के क्या लाभ हैं?

विपश्यना से मानसिक शांति मिलती है, तनाव कम होता है, निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में मदद करती है।

विपश्यना किसने शुरू की?

विपश्यना की शुरुआत बुद्ध ने की थी। आधुनिक समय में आचार्य एसएन गोएंका ने इसे लोकप्रिय बनाया। उन्होंने 14 साल तक इसका अभ्यास किया।

विपश्यना सीखना कठिन है?

विपश्यना सरल अभ्यास है लेकिन इसमें निरंतरता और धैर्य चाहिए। इसे देश विदेश के विभिन्न विपस्सना केन्द्रो (Vipassana Centers) में 10 दिन के निर्देशित पाठ्यक्रम से इसे सीखा जा सकता है। बाद में दैनिक अभ्यास की आवश्यकता होती है।

विपश्यना कब करनी चाहिए?

विपश्यना का दैनिक अभ्यास सुबह-शाम 20-30 मिनट तक करना चाहिए। इसके साथ ही दिन में 2-3 बार कुछ मिनट के लिए भी अभ्यास किया जा सकता है।

निष्कर्ष

  • विपश्यना (Vipassana) और ध्यान हमारी सांस्कृतिक विरासत का अमूल्य हिस्सा है जिसे संरक्षित करना ज़रूरी है।
  • ये आध्यात्मिकता, मानसिक शांति और तनाव प्रबंधन में मदद करते हैं।
  • इनके वैज्ञानिक पहलुओं पर शोध की आवश्यकता है।
  • सरकार और समाज को इनके प्रचार-प्रसार के लिए कदम उठाने चाहिए।

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