Acharya SN Goenka : जानिए कैसे इस व्यक्ति ने प्राचीन बौद्ध ध्यान विपश्यना ( Vipassana) को पुनर्जीवित किया और 8 लाख से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया?

सत्यनारायण गोयन्का (SN Goenka) – विपश्यना (Vipassana) के महान संस्थापक

सत्यनारायण गोयन्का (SN Goenka) एक महान आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्होंने प्राचीन बौद्ध विपश्यना ध्यान (Vipassana Meditation) की परंपरा को पुनर्जीवित किया। उनका जन्म 30 जनवरी 1924 को बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में हुआ था। 31 वर्ष की आयु में उन्हें गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा, जिसने उन्हें आध्यात्मिक खोज की ओर मोड़ दिया।

स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, SN Goenka ने अपने पिता के व्यवसाय में काम करना शुरू किया। वे एक सफल व्यवसायी बन गए, लेकिन उन्हें जीवन में अर्थ और संतुष्टि नहीं मिल रही थी। 1955 में, उनकी भेंट विपश्यना गुरु सयाजी उ बा खिन (Sayagyi U Ba Khin) से हुई, जिनके मार्गदर्शन में उन्होंने 14 वर्ष तक विपश्यना (Vipassana) का अभ्यास किया। SN Goenka ने Sayagyi U Ba Khin से विपश्यना सीखी और 1960 में वे विपश्यना सिखाने के लिए अधिकृत हो गए।

1969 में गुरुदेव के आदेश पर गोयन्का (SN Goenka)जी ने इस प्राचीन ज्ञान को भारत लाया और विपश्यना (Vipassana) के 10 दिवसीय शिविरों का आयोजन करना शुरू किया।

Acharya SN Goenka : जानिए कैसे इस व्यक्ति ने प्राचीन बौद्ध ध्यान विपश्यना ( Vipassana) को पुनर्जीवित किया

उन्होंने भारत के कई हिस्सों में विपश्यना केंद्र ( Vipassana Centre )स्थापित किए। उन्होंने भारत और दुनिया भर में लाखों लोगों को विपश्यना (Vipassana) सिखाई। SN Goenka ने कई पुस्तकें और लेख भी लिखे, जिनमें “The Art of Living”, “The Science of Meditation”, और “Mindfulness in Action” शामिल हैं।

अपने जीवनकाल में गोयन्का (SN Goenka) जी ने हजारों शिविरों का आयोजन किया और लाखों लोगों को विपश्यना (Vipassana Meditation) सिखाई। उन्होंने 100 से अधिक देशों में विपश्यना केन्द्र ( Vipassana Centre) स्थापित किए। वे एक विश्व प्रसिद्ध व्यक्तित्व बन गए और संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे मंचों पर उन्हें आमंत्रित किया गया।

29 सितंबर 2013 को 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन उन्होंने विपश्यना (Vipassana) जैसी अमूल्य विरासत छोड़ी। आइए जानते हैं सत्यनारायण गोयन्का (SN Goenka) के जीवन और योगदान के बारे में।

सत्यनारायण गोयन्का (SN Goenka) का जीवन परिचय

  • सत्यनारायण गोयन्का (SN Goenka) का जन्म 30 जनवरी 1924 को बर्मा (वर्तमान म्यांमार) के मंडले शहर में हुआ था।
  • उनके माता-पिता मारवाड़ी समुदाय के भारतीय थे, जो व्यापार के लिए बर्मा गए थे।
  • गोयन्का (SN Goenka) का पालन-पोषण एक सनातन धर्मी हिंदू परिवार में हुआ।
  • वे बचपन से ही धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों में रुचि रखते थे।
  • 31 वर्ष की उम्र में उन्हें एक गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा, जिससे उनका व्यापार प्रभावित हुआ।
  • इस दौरान एक मित्र के परामर्श पर उनकी भेंट विपश्यना गुरु सयाजी उ बा खिन से हुई।
  • गुरुदेव के मार्गदर्शन में उन्होंने 14 वर्ष तक विपश्यना (Vipassana) का अभ्यास किया।
  • 1969 में गुरुदेव के निर्देश पर वे भारत लौटे और मुंबई में विपश्यना शिक्षण शुरू किया।
  • 1976 में उन्होंने नासिक के पास इगतपुरी में विपश्यना केन्द्र (Vipassana Centre) की स्थापना की।
  • अपने जीवनकाल में उन्होंने हजारों विपश्यना शिविर (Vipassana Retreat) आयोजित किए और लाखों लोगों को प्रशिक्षित किया।
  • 100 से अधिक देशों में विपश्यना केन्द्रों (Vipassana Centre) की स्थापना की।
  • वे एक विश्व प्रसिद्ध व्यक्तित्व बन गए और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर बोले।
  • 2012 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • 29 सितंबर 2013 को 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
Acharya SN Goenka : जानिए कैसे इस व्यक्ति ने प्राचीन बौद्ध ध्यान विपश्यना ( Vipassana) को पुनर्जीवित किया

विपश्यना ध्यान क्या है? What is Vipassana Meditation?

विपश्यना (Vipassana) एक प्राचीन ध्यान तकनीक है जो 2500 साल पहले भारत में विकसित हुई थी। यह ध्यान की एक विधि है जो मन को शांत करने और आत्म-जागरूकता को बढ़ाने में मदद करती है। विपश्यना का अभ्यास करने से तनाव और चिंता कम होती है, एकाग्रता और ध्यान में सुधार होता है, और भावनात्मक लचीलापन बढ़ता है।

विपश्यना (Vipassana) का अभ्यास करने के लिए, व्यक्ति को एक शांत जगह पर बैठना चाहिए और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। व्यक्ति को अपनी सांस की आने-जाने पर ध्यान देना चाहिए और किसी भी विचार या भावना को अपने ध्यान को भंग नहीं करने देना चाहिए। विपश्यना (Vipassana) का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए

आइये इसे इन बिन्दुओ के माध्यम से भी समझते है :

  • विपश्यना (Vipassana) एक प्राचीन बौद्ध ध्यान तकनीक है।
  • इसे सिद्धार्थ गौतम बुद्ध ने लगभग 2500 वर्ष पहले खोजा था।
  • यह एक वैज्ञानिक तरीके से तनाव, चिंता और नकारात्मकता से मुक्ति दिलाने की प्रक्रिया है।
  • इसमें ध्यान के माध्यम से शरीर और मन के बीच संबंध को समझा जाता है।
  • विपश्यना (Vipassana) में धीरे-धीरे और सहज रूप से सांस पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • इससे मन की गतिविधियों पर नियंत्रण आता है और मन की शांति मिलती है।
  • नियमित रूप से विपश्यना (Vipassana) का अभ्यास करने से तनाव और मानसिक बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  • यह किसी भी उम्र, लिंग या सामाजिक-आर्थिक स्तर के लोगों के लिए उपयुक्त है।
Acharya SN Goenka : जानिए कैसे इस व्यक्ति ने प्राचीन बौद्ध ध्यान विपश्यना ( Vipassana) को पुनर्जीवित किया

सत्यनारायण गोयन्का (SN Goenka) द्वारा विपश्यना (Vipassana) का प्रचार-प्रसार

  • गोयन्का (SN Goenka) जी ने अपने गुरु सयाजी उ बा खिन से 14 वर्ष तक विपश्यना (Vipassana) का प्रशिक्षण लिया।
  • 1969 में वे भारत लौटे और मुंबई में विपश्यना (Vipassana) शिक्षण शुरू किया।
  • उन्होंने 10 दिवसीय विपश्यना शिविरों (Vipassana Retreat) का आयोजन किया, जिनमें से पहला मुंबई में हुआ।
  • शिविर में विपश्यना ध्यान (Vipassana Meditation ) की बुनियादी शिक्षा दी जाती थी।
  • 1976 में उन्होंने नासिक के पास इगतपुरी में विपश्यना केन्द्र (Vipassana Centre) की स्थापना की।
  • इस केंद्र से विपश्यना शिविरों (Vipassana Retreat ) का नियमित रूप से आयोजन होने लगा।
  • धीरे-धीरे भारत के अन्य हिस्सों और विदेशों में भी शिविर (Vipassana Retreat)आयोजित किए गए।
  • गोयन्का (SN Goenka) जी ने अपने जीवनकाल में 294 देशों में 1110 विपश्यना केन्द्र स्थापित किए।
  • उन्होंने कुल 56810 शिविर आयोजित किए, जिनमें 873000 लोगों ने भाग लिया।
  • विपश्यना (Vipassana) शिक्षा पुस्तकों और वीडियो के माध्यम से भी दी जाने लगी।
  • इस तरह गोयन्का (SN Goenka) जी ने विपश्यना का विश्वभर में प्रचार-प्रसार किया।

सत्यनारायण गोयन्का (SN Goenka) की उपलब्धियाँ

  • गोयन्का (SN Goenka) जी ने विपश्यना (Vipassana) को पुनर्जीवित कर एक अमूल्य विरासत का निर्माण किया।
  • उन्होंने विश्व भर में 294 देशों में 1110 से अधिक विपश्यना केन्द्र स्थापित किए।
  • 56810 शिविरों का आयोजन कर 873000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया।
  • विपश्यना (Vipassana) को वैज्ञानिक तरीके से समझने और अभ्यास करने का मार्ग प्रशस्त किया।
  • बौद्ध धर्म की इस प्राचीन विरासत को संरक्षित रखा और आगे बढ़ाया।
  • विपश्यना (Vipassana) को भारत से विदेशों में ले जाकर इसका विश्वव्यापी प्रसार किया।
  • अपने सरल और विनम्र व्यक्तित्व से विपश्यना को लोकप्रिय बनाया।
  • मानसिक शांति और खुशी के लिए विपश्यना को मान्यता दिलाई।
  • विपश्यना (Vipassana) आंदोलन की स्थापना कर इसके विकास में अमूल्य योगदान दिया।

इस प्रकार सत्यनारायण गोयन्का (SN Goenka)जी को विपश्यना के आधुनिक युग का संस्थापक और प्रवर्तक माना जाता है। उन्होंने अपने परिश्रम से विपश्यना की एक विशाल विरासत का निर्माण किया है जो सदैव मानवता की सेवा करती रहेगी।

Acharya SN Goenka : vipassana centre

प्रमुख प्रश्न उत्तर ( FAQs)

Q. सत्यनारायण गोयन्का (SN Goenka)का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर: 30 जनवरी 1924 को बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में।

Q. गोयन्का जी किस गुरु से विपश्यना (Vipassana) सीखा?
उत्तर: सयाजी उ बा खिन से।

Q. गोयन्का (SN Goenka) जी ने कितने देशों में विपश्यना केंद्र (Vipassana Centre) स्थापित किए?
उत्तर: 294 देशों में 1110 से अधिक केंद्र।

Q. गोयन्का (SN Goenka) जी ने कितने विपश्यना शिविर (Vipassana Retreat) आयोजित किए?
उत्तर: 56810 शिविर।

Q. गोयन्का (SN Goenka) जी को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया?
उत्तर: 2012 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया।

निष्कर्ष

  • सत्यनारायण गोयन्का (SN Goenka) ने विपश्यना (Vipassana) की प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित कर इसे विश्वभर में फैलाया।
  • उन्होंने इसे वैज्ञानिक रूप से समझने और अभ्यास करने का मार्ग प्रशस्त किया।
  • वे विपश्यना (Vipassana) आंदोलन के संस्थापक और प्रवर्तक माने जाते हैं।
  • गोयन्का (SN Goenka) जी की प्रेरणा से विपश्यना (Vipassana) आज भी लाखों लोगों को लाभ पहुंचा रहा है।

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