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ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) : ASI की रिपोर्ट ने खोला 400 साल पुराना इतिहास
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी (Gyanvapi) मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कर 839 पृष्ठों की वैज्ञानिक रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में मौजूदा संरचना से पहले मंदिर के होने के सबूत मिले हैं। दीवारों पर कन्नड़, देवनागरी और तेलुगु भाषा के कई शिलालेख भी मिले।
ASI रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- मौजूदा संरचना से पहले हिंदू मंदिर होने के सबूत
- 12वीं सदी का शिवलिंग और हिंदू देवी-देवताओं से संबंधित मूर्तियां
- तेलुगु, कन्नड़, संस्कृत और तमिल भाषा के कई शिलालेख
- मंदिर निर्माण में शामिल व्यक्तियों के नाम का जिक्र
- 10 तहखानों की पहचान, कईमें हिंदू संकेत
ASI की रिपोर्ट विवादों में आई है क्योंकि मुस्लिम पक्ष इसे स्वीकार करने से इनकार कर रहा है। वहीं, विभिन्न अदालतों ने भी इस रिपोर्ट की मांग की है।
तेलुगु भाषा के शिलालेखों ने खोला राज
ASI की मैसूर शाखा को ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) की दीवारों पर तीन तेलुगु शिलालेख मिले। एक शिलालेख में 17वीं सदी में मंदिर निर्माण में शामिल नारायण भट्ट और उनके पुत्र मल्लन्ना भट्ट के नाम मिले। नारायण भट्ट एक तेलुगु ब्राह्मण थे जिन्होंने 1585 में काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
अगर ASI रिपोर्ट को माने तो इससे साबित होता है कि मंदिर पहले वहां मौजूद था, फिर उसे तोड़कर मस्जिद (Gyanvapi Mosque) बनाई गई। इतिहास के अनुसार 15वीं सदी में जौनपुर के सुल्तान ने मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था और 1585 में राजा टोडरमल ने नारायण भट्ट से इसका पुनर्निर्माण करवाया।
दूसरा तेलुगु शिलालेख मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के अंदर मिला जिसपर ‘गोवी’ शब्द लिखा है जो गोपाल का पर्याय है। तीसरा 15वीं सदी का 14 लाइनों का क्षतिग्रस्त शिलालेख भी मिला। ASI रिपोर्ट को देखते हुए यह प्रतीत होता है कि मौजूदा मस्जिद से पहले वहां एक हिंदू मंदिर अवश्य मौजूद था।
विस्तृत ASI खोजें और निष्कर्ष
ASI ने अपनी रिपोर्ट में विस्तृत खोजें और निष्कर्ष साझा किए हैं:
(1) 12वीं सदी का शिवलिंग
परिसर के भवन संख्या 5 (जिसे व्यासजी कुण्ड के रूप में जाना जाता है) के गर्भगृह से एक 12वीं सदी के बादामी शिला का शिवलिंग प्राप्त हुआ।
इसके अलावा अन्य हिंदू देवी-देवताओं से संबंधित कई मूर्तियां भी मिलीं।
(2 ) 15वीं सदी का 14 लाइनों का शिलालेख
मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के उत्तरी हिस्से के प्रवेश द्वार पर 15वीं सदी का एक 14 लाइनों का क्षतिग्रस्त शिलालेख मिला। शिलालेख से पता चलता है कि परिसर में दीप जलाने और पूजा का प्रावधान था।
(3) 17वीं सदी के तेलुगु शिलालेख
मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के अंदर और बाहर की दीवारों पर तीन तेलुगु भाषा के शिलालेख मिले। एक शिलालेख में 17वीं सदी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण में शामिल व्यक्तियों के नाम हैं।
ये शिलालेख मंदिर के होने का ठोस सबूत प्रस्तुत करते हैं।
GPR तकनीक से 10 तहखानों की पहचान
ASI ने अपनी रिपोर्ट में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) तकनीक के माध्यम से परिसर में कम से कम 10 तहखानों के होने की पहचान की है।
इनमें से कई तहखानों तक उसकी टीम पहुंच पाई और उनका निरीक्षण किया। रडार से गहरे में कमरों और गलियारों की झलक भी मिली।
कुछ तहखानों में शिवलिंग और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिलीं। एक तहखाने के अंदर गौ मूर्ति के साथ शिलालेख ‘गोवी’ भी मिला।
ASI रिपोर्ट पर चर्चा और विवाद
ASI की रिपोर्ट के बाद से ही विवाद छिड़ गया है। मुस्लिम पक्षकार इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं।
वहीं, वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट और 1991 के एक पुराने मामले में भी ASI से इस सर्वे रिपोर्ट की मांग की गई है। कोर्ट ने ASI को नोटिस जारी कर 5 फरवरी तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
इस बीच, पूजा करने की अनुमति के लिए व्यासजी तहखाने के मामले पर 31 जनवरी को फैसला सुनाया जा सकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इतने सबूतों के बावजूद ASI रिपोर्ट को किस हद तक स्वीकार करती है और इस पर क्या फैसला सुनाती है।
ASI की रिपोर्ट के बाद से ही विवाद छिड़ गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि न्यायपालिका ASI की इस रिपोर्ट और खोजों को किस हद तक सही मानती है और इस पर क्या फैसला सुनाती है।
चलिए इन प्रमुख बिन्दुओ से इस पर प्रकाश डालते है :
- मुस्लिम पक्षकार इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर रहे हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं
- वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भी ASI से रिपोर्ट मांगी है
- 1991 के एक पुराने मामले में भी कोर्ट ने रिपोर्ट की मांग की
- ASI को 5 फरवरी तक कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
- 31 जनवरी को व्यासजी तहखाने से जुड़े मामले पर फैसला संभव
FAQs: ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) विवाद
Q1. ASI सर्वेक्षण में क्या निष्कर्ष निकाला गया?
Ans – ASI ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि मौजूदा संरचना से पहले वहां एक हिंदू मंदिर अवश्य मौजूद था।
Q2. ASI को कौन-सी भाषाओं के शिलालेख मिले?
Ans – ASI को संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़ और तमिल भाषा के कई शिलालेख मिले।
Q3. तहखानों की कुल संख्या कितनी पाई गई?
Ans – GPR सर्वे से परिसर में 10 तहखानों की पहचान हुई।
सारांश
- ASI रिपोर्ट ने 400 साल पुराने इतिहास को बदलकर रख दिया है
- सबूतों से साबित हुआ कि मौजूदा मस्जिद से पहले वहां एक हिंदू मंदिर था
- तेलुग,ु कन्नड़ और तमिल शिलालेखों ने रहस्य उजागर किया
- 10 तहखानों और GPR तकनीक ने और मजबूत किया दावा
- अब अदालत का फैसला ही अंतिम रूप देगा इस विवाद को
डिस्क्लेमर :
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। और यह मीडिया हाउस और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। विनि मीडिया (Wini Media) इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करती है। इसमें दी गई सामग्री जो का उपयोग करने से पहले अपने विवेक से कार्य करें।
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