1860 में प्रस्तुत किया गया पहला बजट उस समय ब्रिटिश राज के लिए बनाया गया था, इसलिए इसे शाम 5 बजे पेश किया जाता था, जो अंग्रेजों के लिए सुबह 11:30 बजे का समय था!
ब्रिटिश शासन के दौरान, बजट में केवल 2 कर स्लैब थे, जिसका अर्थ है कि अमीर और गरीब सभी एक ही दर से कर का भुगतान करते थे।
आजादी के बाद का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश किया गया था। उस समय, खाद्यान्न की कमी देश की एक बड़ी चिंता थी।
बजट अब केवल आर्थिक नीतियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक कल्याण पर भी काफी ध्यान दिया जा रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में बजट का बड़ा योगदान है।
वित्त मंत्री परंपरागत रूप से बजट दस्तावेजों को एक लाल चमड़े के ब्रीफ़केस में ले जाते हैं। बजट पेश करने से पहले, वे अक्सर शुभता के लिए हल्दी वाला दूध पीते हैं।
भारतीय बजट के इतिहास में केवल एक बार बजट लीक हुआ था, जो 1950 में तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई के कार्यकाल में हुआ था। इस घटना ने काफी विवाद खड़ा कर दिया था।
भारत सरकार ने बजट प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए एक डिजिटल बजट प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। इस प्लेटफॉर्म पर बजट दस्तावेज, बजट भाषण और अन्य संबंधित जानकारी आसानी से उपलब्ध है।
भारतीय बजट लगातार बदल रहा है और भविष्य में भी ऐसा ही रहने की संभावना है। आने वाले वर्षों में, डिजिटलीकरण, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों को संबोधित करने के लिए बजट में और अधिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
आप भी बजट बनाने की प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं! भारत सरकार जनता से सुझाव लेने के लिए बजट से पहले एक प्रक्रिया आयोजित करती है। आप अपनी राय ऑनलाइन या बजट से संबंधित सार्वजनिक सुनवाई में देकर योगदान कर सकते हैं।
बजट का आपकी ज़िंदगी पर कई तरह से असर पड़ता है, जैसे कर, सरकारी योजनाओं पर खर्च, और ब्याज दरें। इसलिए, बजट को समझना महत्वपूर्ण है ताकि आप अपने वित्तीय फैसले ले सकें।