आखिर दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके क्यों आते है ? Earthquake vulnerability in Delhi- Earthquake Survival Guide in Hindi

Earthquake vulnerability in Delhi : चिंता और जिज्ञासा

Table of Contents

अभी हाल में हमलोगो ने देखा की महज एक महीने के अंतराल में दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में तीन-तीन बार अलग-अलग मौकों पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।सबसे नवीनतम घटना नेपाल में आया 6.4 तीव्रता का भूकंप है , जिससे राष्ट्रीय राजधानी में लगातार होने वाली भूकंपीय गतिविधि के बारे में लोगो के बीच चिंता और जिज्ञासा बढ़ा है ।

इस Article में ,मैं भूकंप के इस बार-बार होने वाली घटना के पीछे के भूवैज्ञानिक और भौगोलिक कारणों के साथ-साथ भूकंप के झटकों के लिए जिम्मेदार कारको पर भी प्रकाश डालने जा रहा हूँ।

दिल्ली-एनसीआर की भूकंपीय संवेदनशीलता (Delhi-NCR’s Seismic Vulnerability)

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के भूकंपीय क्षेत्र मानचित्र के अनुसार, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) भूकंपीय क्षेत्र-IV ( Seismic Zone-IV) में स्थित हैं, जो उच्च भूकंपीय जोखिम का संकेत देता है। आइये सबसे पहले ज़ोन IV को अच्छी तरह से समझते है। ज़ोन IV मध्यम से उच्च तीव्रता वाले भूकंपों की उच्च संभावना को दर्शाता है।

Earthquake vulnerability in Delhi : दिल्ली-एनसीआर की भूकंपीय संवेदनशीलता

लेकिन ऐसा क्या है जो दिल्ली को इन बार-बार आने वाले झटकों के प्रति संवेदनशील बनाता है?

Earthquake vulnerability in Delhi : भौगोलिक स्थिति

दिल्ली की भूकंपीय गतिविधि के प्रति संवेदनशीलता काफी हद तक इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण है। आपको यह बताते चले की दिल्ली शहर , हिमालय पर्वत श्रृंखला के काफी करीब स्थित है, यह हिमालय से लगभग 200-300 किलोमीटर दुरी पर स्थित है । आपको यह जानकारी जरूर होगा की हिमालय का निर्माण भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच टकराव के परिणामस्वरूप ही हुआ है , जिससे निरंतर टेक्टोनिक गतिविधि होती रहती है । जिस कारण इस निरंतर भूवैज्ञानिक हलचल के परिणामस्वरूप नियमित झटके आते रहते हैं, जिससे यह क्षेत्र भूकंप और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के केंद्र बिंदु के रूप में स्थापित हो जाता है।

टेक्टोनिक प्लेट गतिशीलता (Tectonic Plate Dynamics)

जैसा की हम समझ चुके है की भूकंप (Earthquake ) के झटके मुख्य रूप से पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत में टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण होते हैं। ये प्लेटें जितनी अधिक सक्रिय होंगी, भूकंप आने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। दिल्ली का भूकंपीय खतरा आंतरिक रूप से हिमालयी टेक्टोनिक प्लेट सीमा से इसकी निकटता से जुड़ा हुआ है, जहां भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती है। यह टक्कर दिल्ली और उसके आसपास उत्तरी भारत में पर्याप्त भूकंपीय गतिविधि के लिए जिम्मेदार है। हालाँकि दिल्ली सीधे तौर पर किसी बड़ी फॉल्ट लाइन पर स्थित नहीं है, लेकिन हिमालय से निकटता के कारण यह भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में रहती है।

हिमालय की निकटता (Himalayan Proximity)

नेपाल और उत्तराखंड सहित हिमालय क्षेत्र विशेष रूप से रिक्टर पैमाने पर 8.5 से अधिक तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंपों के प्रति संवेदनशील है। हिमालय से निकटता एक प्रमुख कारण है जिसके वजह से ही दिल्ली को जोन IV में रखा गया है, जबकि हिमालय क्षेत्र जोन V में आता है, जो विनाशकारी भूकंपों के उच्चतम जोखिम का संकेत देता है

सेटलमेंट पैटर्न्स और वुलनेराबिलिटी (Settlement Patterns and Vulnerability)

भूवैज्ञानिक कारकों जो भी हो , लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी की Men Made कई और कारण है जिसके वजह दिल्ली और एनसीआर का एरिया भूकंप के लिए एक जोखिम क्षेत्र माना जाता है। इस क्षेत्र में विशाल ऊँची-ऊँची इमारतें और कई विशाल अनैतिक और अनौपचारिक बस्तियाँ हैं। विशेष रूप से, यमुना और हिंडन नदियों के किनारे के क्षेत्र, जिनमें कई बहुमंजिला इमारतें हैं, सबसे अधिक भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में स्थित हैं। पुरानी दिल्ली के कुछ हिस्से और नदी किनारे की अनधिकृत कॉलोनियाँ भकंप के risk को और बढ़ा देती हैं।

अगर सरल शब्दों में कहें तो, यह खंड प्राकृतिक कारणों के अलावा, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में लोगों ने जिस तरह और तरीके से अपने घरों और Communities को बनाया है उस वजह से भी इस पुरे area को भूकंप के लिए अति जोखिम क्षेत्र माना जाता है।

चलिए इसको विस्तार से Analysis करते है :

  • बसने का पैटर्न (Settlement Pattern) : इस क्षेत्र में लोगों ने घर बनाने और रहने के तरीके को अनोखा बना दिया है। इसमें उच्च इमारतें और अनैतिक, अनियोजित मोहल्ले का कॉम्बिनेशन है, जो की भूकंप के लिए संवेदनशील बना देता है ।
  • ऊंची इमारतें (High-Rise Constructions): इस क्षेत्र में कई ऊंची इमारतें बनाई गई हैं। ये ऊंची इमारतें भूकंप के समय होने वाले हलचल के प्रति ज्यादा कमजोर होती हैं क्योंकि ये हिल सकती हैं और हलचल कर सकती हैं।
  • अनैतिक बसेरे (Informal Settlements) : ऊंची इमारतों के अलावा, इस क्षेत्र में कई अनैतिक या अनियोजित बसेरे भी हैं। ये अक्सर कम मजबूत सामग्री से बने होते हैं और भूकंप का सामना करने के लिए नहीं बनाए जाते हैं।
  • नदी किनारे क्षेत्र (Riverside Areas) : सबसे अधिक जोखिमपूर्ण क्षेत्र में उन जगहों के पास होते हैं जो यमुना और हिन्दन नदियों के किनारे हैं। इन जगहों पर कई मल्टी-स्टोरी इमारतें होती हैं। जब भूकंप होता है, तो ज़मीन हिलती है, और इससे इन इमारतों को नुकसान होने का जोखिम बढ़ जाता है।
  • पुरानी दिल्ली और अनधिकृत कॉलोनियों (Old Delhi and Unauthorized Colonies) : पुरानी दिल्ली और नदी किनारों पर अनधिकृत कॉलोनियों के वजह से भी यह क्षेत्र भूकंप के लिये अति संवेदनशील है। यहां निर्माण में कोई proper safety standards का पालन नहीं होने के वजह से भूकंप आने पर बहुत नुकसान होने की आशंका बनी रहती है।
Earthquake vulnerability in Delhi : भविष्य की चिंताएँ

Earthquake vulnerability in Delhi : भविष्य की चिंताएँ

विशेषज्ञों ने भविष्य में इस क्षेत्र में बड़े भूकंप की संभावना के बारे में चेतावनी जारी की है। घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों( densely populated urban areas) , पुराने बुनियादी ढांचे (aging infrastructure) और राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में अपर्याप्त भवन मानकों ( inadequate building standards) के कारण दिल्ली में एक बड़े भूकंप के परिणाम गंभीर हो सकते हैं।

निष्कर्ष: Earthquake vulnerability in Delhi

दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में बार-बार आने वाले भूकंप के झटके भूवैज्ञानिक(geological) , भौगोलिक (geographical) और निपटान कारकों (settlement factors) के combination (संयोजन) का परिणाम हैं। इस क्षेत्र में चल रही भूकंपीय गतिविधि को देखते हुए, अधिकारियों और निवासियों के लिए सतर्क रहना और भूकंपीय घटनाओं के लिए तैयार रहना अनिवार्य है।

FAQs For Earthquake vulnerability in Delhi

प्रश्न: भूकंपीय गतिविधि का क्या कारण है?

उत्तर: भूकंप मुख्य रूप से पृथ्वी की पपड़ी(Earth’s crust) में टेक्टोनिक प्लेटों (tectonic plates) की गति ( movement) के कारण होते हैं, जो फॉल्ट लाइनों के साथ इन विशाल प्लेटों की परस्पर क्रिया ( interaction) के परिणामस्वरूप होता है।

प्रश्न: भूकंपीय जोखिम क्षेत्र (seismic risk) के अनुसार कैसे भिन्न- भिन्न होता है?

उत्तर: भूकंपीय जोखिम टेक्टोनिक प्लेट सीमाओं से निकटता, भूवैज्ञानिक स्थितियों और फॉल्ट लाइनों जैसे कारकों पर निर्भर करता है। प्लेट सीमाओं के निकट के क्षेत्र अधिक जोखिम में हैं।

प्रश्न: क्या इमारतें भूकंप का सामना कर सकती हैं?

उत्तर: यह इमारतों की भूकंपरोधी क्षमता उनके डिज़ाइन और निर्माण पर निर्भर करती है। भूकंप के लचीलेपन के लिए भूकंपीय रेट्रोफिटिंग ( Seismic retrofitting) और बिल्डिंग कोड (building codes ) का पालन आवश्यक है।

प्रश्न: भूकंप की तीव्रता के विभिन्न पैमाने क्या हैं?

उत्तर: भूकंप को विभिन्न पैमानों ( various scales) ,का उपयोग करके मापा जाता है, जिनमें रिक्टर स्केल ( Richter Scale) और मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल ( Moment Magnitude Scale ) सबसे आम हैं। क्षण परिमाण (Moment magnitude ) भूकंप के आकार ( earthquake’s size) का अधिक सटीक माप प्रदान करता है।

प्रश्न: क्या भूकंप के लिए पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ मौजूद हैं?

उत्तर: हाँ, कुछ क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ हैं जो प्रारंभिक भूकंपीय तरंगों का पता लगाती हैं, जिससे आबादी वाले क्षेत्रों में तेज़ झटकों के पहुँचने से पहले कुछ सेकंड से लेकर मिनटों तक की पूर्व सूचना मिलती है, जिससे संभावित रूप से जान बचाई जा सकती है।

प्रश्न: मैं घर पर भूकंप के लिए कैसे तैयारी कर सकता हूं?

उत्तर: भूकंप की तैयारी के लिए, एक आपातकालीन किट बनाएं, भारी वस्तुओं को सुरक्षित करें, और एक पारिवारिक आपातकालीन योजना स्थापित करें। अपने आप को सुरक्षित आश्रय स्थानों से परिचित कराएं।

प्रश्न: भूकंप के दौरान मुझे क्या करना चाहिए?

उत्तर: भूकंप के दौरान आप को 3 principles का follow करना चाहिए Drop, Cover, and Hold On , (“छोड़ें, ढकें और पकड़े रहें) ।” जमीन पर गिर जाएं, किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे छिप जाएं और तब तक रुके रहें जब तक झटके बंद न हो जाएं। खिड़कियों और भारी वस्तुओं से दूर रहें जो गिर सकती हैं। झटके रुकने के बाद, aftershocks से सावधान रहें और चोटों और क्षति की जाँच करें। अपनी आपातकालीन योजना का पालन करें।

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