पिछले कुछ दिनों में हुए घटनाक्रम से ये साफ हो गया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एक बार फिर से पाला बदलकर बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में नई सरकार बनाएंगे। सूत्रों से मिले जानकारी के अनुसार भाजपा के साथ नई सरकार 28 January को शपथ लेगी।
चलिए आज इस Article के माध्यम से नितीश कुमार के बारे में जानते है , उनकी राजनैतिक सफर और उनके पाला बदलने का पूरा इतिहास पर अवलोकन डालते है।
जाने नीतीश कुमार के बारे में
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के नालंदा जिले में हुआ था। वे राजनीति में 1970 के दशक में आए और जेपी से जुड़े। 1980 में विधानसभा और 1989 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। 1990 में लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री बनाने में मदद की। लेकिन 1994 में लालू से अलग होकर समता पार्टी बनाई।
2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बने लेकिन समर्थन न मिलने से केवल 7 दिन तक रहे। 2005 में भाजपा के साथ गठबंधन में मुख्यमंत्री बने और पूरा कार्यकाल चला। 2010 में भी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव जीता और तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।
2013 में नरेंद्र मोदी को पीएम पद का दावेदार बनाने से असहमति जताते हुए भाजपा से अलग हो गए। 2015 में राजद-जदयू-कांग्रेस के महागठबंधन में पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने।
2017 में तेजस्वी यादव से इस्तीफे की मांग को लेकर फिर भाजपा के साथ गठबंधन में आए। 2020 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें अपनी संख्या से कम सीटों के बावजूद भी मुख्यमंत्री बनाए रखा।
इस तरह 2000 से लेकर 2022 तक कई बार नीतीश ने गठबंधन तोड़े और बनाए। कभी भाजपा, तो कभी राजद से गठबंधन किया। उनकी इस ‘पलटन’ को लेकर विपक्ष ने हमेशा सवाल खड़े किए। हालांकि नीतीश ने हर बार अपना पक्ष रखा
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बिहार की सियासत में कई मौकों पर किया पलटाव
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक करियर में कई बार पाला पलटा है। नीतीश कुमार ने 1990 के दशक में जनता दल से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी, लेकिन बाद में उन्होंने बार-बार अपने गठबंधन बदले हैं। आइए जानते हैं नीतीश कुमार ने बिहार की सियासत में कब-कब पलटा पाला:
जानिए नितीश कुमार (Nitish Kumar) ने कब-कब पलटा है पाला ?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक ऐसे नेता हैं जो अपने राजनीतिक करियर में कई बार पाला बदल चुके हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कई बार अपने सहयोगियों और गठबंधन के साथियों को चौंकाया है।
1994 में छोड़ा जनता दल
नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत जनता दल से की थी। वे 1990 में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने थे। हालांकि, 1994 में उन्होंने जनता दल से नाता तोड़ लिया और जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया।
1996 में बीजेपी से गठबंधन
समता पार्टी के गठन के बाद नीतीश कुमार ने 1996 में बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गठबंधन किया। यह गठबंधन अगले 17 सालों तक चला। इस दौरान नीतीश कुमार दो बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।
2013 में बीजेपी से अलग हुए
2013 में नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के खिलाफ नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बीजेपी से अलग हो गए। उन्होंने महागठबंधन का गठन किया और लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर बिहार के मुख्यमंत्री बने।
2020 में फिर से बीजेपी से गठबंधन
2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को केवल 43 सीटें मिलीं। जबकि, बीजेपी को 74 सीटें मिलीं। इसके बावजूद, नीतीश कुमार ने फिर से बीजेपी से गठबंधन किया और मुख्यमंत्री बने।
2022 में फिर से महागठबंधन में शामिल हुए
2022 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन में फिर से शामिल होने का फैसला किया। उन्होंने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया और लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर सरकार बनाई।
नीतीश कुमार के पाला बदलने के कारण
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पाला बदलने के कई कारण हैं। एक कारण यह है कि वह एक कुशल राजनीतिज्ञ हैं और अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। दूसरा कारण यह है कि वह एक पिछड़े वर्ग के नेता हैं और उन्हें बिहार में पिछड़े वर्ग के वोट बैंक का समर्थन प्राप्त है। तीसरा कारण यह है कि वह एक विकासवादी नेता हैं और बिहार में विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए वह किसी भी गठबंधन में शामिल होने से नहीं हिचकते हैं।
नीतीश कुमार के पाला बदलने के प्रभाव
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पाला बदलने का बिहार की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने बिहार की राजनीति में दलीय व्यवस्था को कमजोर किया है और बिहार में अस्थिरता पैदा की है। उनके पाला बदलने से बिहार में राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पलटने का इतिहास
नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक करियर में कई बार पलटाव किया है। आइए उनके कुछ प्रमुख पलटावों पर नज़र डालते हैं:
- 1994 – जनता दल छोड़कर समता पार्टी का गठन किया
- 1996 – बीजेपी के साथ गठबंधन किया, जो अगले 17 साल तक चला
- 2013 – बीजेपी छोड़कर महागठबंधन में शामिल हुए
- 2017 – फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन
- 2022 – बीजेपी छोड़कर महागठबंधन में वापसी
नीतीश-भाजपा के रिश्ते में कई उतार-चढ़ाव
2000 में पहली बार वे मुख्यमंत्री बने तो भाजपा उनकी सहयोगी थी। लेकिन समर्थन न मिलने से वे सिर्फ 7 दिन तक ही मुख्यमंत्री रह सके।
2005 में जदयू और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। नीतीश दोबारा मुख्यमंत्री बने।
2010 में भी दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा और जीत के बाद नीतीश तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।
2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने पर नीतीश भाजपा से अलग हो गए। राजद के साथ मिलकर वे मुख्यमंत्री बने रहे।
2015 में महागठबंधन सरकार बनी और नीतीश 5वीं बार मुख्यमंत्री बने।
2017 में वे फिर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने को मजबूर हुए।
2020 में चुनाव के बाद भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बनाए रखा।
नीतीश ने इन दलों के साथ किया गठबंधन
नीतीश कुमार ने अपने करियर में इन प्रमुख दलों के साथ गठबंधन किया है:
- जनता दल
- बीजेपी
- राष्ट्रीय जनता दल
- कांग्रेस
- वाम दल
उन्होंने इन दलों के साथ अलग-अलग समय पर गठबंधन बनाया और तोड़ा भी है।
नीतीश के पलटने के कारण
नीतीश कुमार के लगातार पलटने के कुछ प्रमुख कारण:
- राजनीतिक हित साधना
- दलीय गणित को मजबूत करना
- विरोधियों को कमजोर करना
- व्यक्तिगत मतभेद
- सत्ता में बने रहना
नीतीश के पलटने से बिहार पर पड़े प्रभाव
नीतीश के पलटने का बिहार पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं:
- राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी
- विकास में बाधा आई
- भ्रष्टाचार फैला
- जनता का भरोसा गिरा
- लोकतंत्र कमजोर हुआ
इससे बिहार की जनता को भारी नुकसान हुआ है।
नीतीश और BJP के बीच फिर से गठबंधन की संभावना
2024 के चुनाव से पहले नीतीश कुमार एक बार फिर BJP के साथ गठबंधन कर सकते हैं। ऐसा इन कारणों से संभव है:
- RJD से नाराजगी
- कांग्रेस की कमजोर स्थिति
- बीजेपी की मजबूत सरकार बनाने में रुचि
- 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए
यदि नीतीश और बीजेपी फिर से एक होते हैं तो यह बिहार की राजनीति को स्थिरता प्रदान कर सकता है।
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिए चुनावी साल क्यों है अहम?
- बिहार में 2024 में चुनाव होने वाले हैं।
- ऐसे में नीतीश कुमार के लिए यह चुनावी साल काफी क्रिटिकल है।
- नीतीश को अपने राजनीतिक करियर का अंतिम दौर मजबूती से खेलना है।
- इसलिए वे किसी भी हाल में सत्ता में बने रहना चाहेंगे।
- नीतीश जानते हैं कि उनकी लोकप्रियता घट रही है।
- ऐसे में वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए गठबंधन बदल सकते हैं।
नीतीश कुमार के पास विकल्प कम हैं। RJD के साथ उनके संबंध खराब हुए हैं। कांग्रेस भी कमजोर है। इसलिए BJP के साथ गठबंधन उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प लगता है। चुनाव से पहले वे एक बार फिर पलट सकते हैं।
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पलटने के क्या हो सकते हैं परिणाम?
नीतीश कुमार के लगातार पलटने से बिहार की सियासत पर कई प्रभाव पड़े हैं:
- अस्थिर सरकारें – नीतीश के पलटने से बिहार में स्थिर सरकार बनाना मुश्किल हो गया है। सरकारें ढीली पड़ गई हैं।
- विकास प्रभावित – अस्थिरता के कारण बिहार का विकास प्रभावित हुआ है। नीतियों में निरंतरता नहीं रही।
- राजनीतिक दल प्रभावहीन – नीतीश के खेल से अन्य राजनीतिक दल भी कमजोर हुए हैं। किसी का भरोसा नहीं रहा।
- जनता का भरोसा गिरा – आम जनता में राजनेताओं के प्रति विश्वास खत्म हुआ है।
- सियासत में भ्रष्टाचार – दल बदल की राजनीति ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है।
इसलिए नीतीश को अब स्थिरता के लिए काम करना चाहिए, न कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए पलटना चाहिए।
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नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पलटने पर प्रश्न और उत्तर(FAQs)
प्रश्न 1: नीतीश कुमार ने पहली बार कब पाला पलटा था?
उत्तर: नीतीश कुमार ने पहली बार जून 2013 में 17 साल पुराने गठबंधन को तोड़ते हुए बीजेपी से अलग होकर RJD और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था।
प्रश्न 2: नीतीश कुमार ने किस वर्ष भाजपा के साथ फिर से गठबंधन किया?
उत्तर: नीतीश कुमार ने फरवरी 2017 में एक बार फिर बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया था।
प्रश्न 3: नीतीश कुमार ने BJP से कब दूसरी बार अलग हुए?
उत्तर: नीतीश कुमार ने अगस्त 2022 में दूसरी बार BJP से अलग होकर RJD व अन्य दलों के साथ महागठबंधन बनाया था।
प्रश्न 4: नीतीश किन दलों के साथ गठबंधन कर चुके हैं?
उत्तर: नीतीश कुमार ने अब तक BJP, RJD, कांग्रेस और वामदलों सहित कई दलों के साथ गठबंधन किया है।
सारांश
- नीतीश कुमार ने अपने करियर में कई बार पाला बदला है
- उन्होंने बीजेपी, RJD और कांग्रेस सहित अनेक दलों के साथ गठबंधन किया है
- राजनीतिक स्वार्थ उनके पलटने का प्रमुख कारण रहा है
- इससे बिहार में अराजकता और अस्थिरता बढ़ी है
- 2024 में चुनाव से पहले वे शायद फिर BJP के साथ जाएँ
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