नासा ने अंतरिक्ष से लाए उल्कापिंड के सैंपल से किया बड़ा खुलासा,प्राचीन समुद्र से अलग हुआ उल्कापिंड बेन्नू!,जाने वैज्ञानिकों ने क्या-क्या खोजा?

उल्कापिंड से मिले 4.5 अरब साल पुराने रहस्यमयी सबूत

उल्कापिंड बेन्नू वर्षों से वैज्ञानिकों के लिए रोचक रहा है। नासा द्वारा इस उल्कापिंड से कुछ सैंपल पृथ्वी पर लाए गए हैं, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है। इन सैंपल्स से कई रोचक तथ्य सामने आ रहे हैं।

उल्कापिंड बेन्नू के सैंपल में प्रचुर मात्रा में पानी मिला है। साथ ही, यह जीवन के लिए ज़रूरी तत्वों से भरे हैं। इतना ही नहीं, फॉस्फेट की उच्च सांद्रता भी मिली है जो पहले कभी उल्कापिंडों में नहीं देखी गई।

ये सब खोजें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि उल्कापिंड बेन्नू किसी प्राचीन समुद्री दुनिया का हिस्सा रहा हो सकता है। चलिए जानते हैं इस उल्कापिंड से जुड़ी खोजों के बारे में और विस्तार से।

उल्कापिंड बेन्नू के सैंपल क्या बताते हैं

  • नासा के OSIRIS-REx मिशन के तहत उल्कापिंड बेन्नू से कुछ सैंपल लाए गए
  • इन सैंपल में 200 मिलीग्राम से अधिक सामग्री थी
  • 28 से अधिक सैंपल आधे मिमी से बड़े थे
  • सबसे बड़ा सैंपल 3.5 सेंटीमीटर लंबा था
  • सैंपल में कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर और फॉस्फोरस जैसे तत्व मौजूद थे
  • सबसे अहम बात, सैंपल में प्रचुर मात्रा में पानी मिला
  • इतने पानी और जीवनसृजक तत्वों की उपस्थिति इस बात का संकेत देती है कि यह उल्कापिंड किसी जलीय ग्रह से टूट कर अलग हुआ हो

आइए विस्तार से जानते हैं इन सब खोजों के बारे में और उनका क्या मतलब है।

उल्कापिंड बेन्नू से सैंपल कैसे लाए गए?

2016 में नासा ने OSIRIS-REx नामक एक मिशन को उल्कापिंड बेन्नू की ओर रवाना किया था। 2023 में इस मिशन ने उल्कापिंड से कुछ सैंपल एकत्र किए और उन्हें कैप्सूल में संजो कर पृथ्वी की ओर भेज दिया।

24 सितंबर, 2023 को यह कैप्सूल अमेरिका के यूटा में उतरी। अब इस कैप्सूल में संजोए गए 200 मिलीग्राम से अधिक सैंपल का विश्लेषण किया जा रहा है।

एरिजोना विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इन सैंपल की जांच में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास 1000 से अधिक ऐसे कण हैं जो आधे मिमी से बड़े हैं।

28 सैंपल 1 सेमी से भी बड़े हैं और सबसे बड़ा सैंपल लगभग 3.5 सेंटीमीटर लंबा है।

ये सभी सैंपल विभिन्न आकार के हैं और इनमें उल्कापिंड की सतह से लेकर अंदरूनी हिस्सों तक की सामग्री शामिल है। वैज्ञानिक इन सभी का मिक्रोस्कोपिक स्तर पर विश्लेषण कर रहे हैं।

उल्कापिंड सैंपल में क्या मिला?

उल्कापिंड बेन्नू के इन सैंपल्स का परीक्षण कई चीज़ों का पता लगाने में मदद करेगा:

1. पानी

सबसे अहम खोज यह है कि इन सैंपल में पानी की मौजूदगी पाई गई है। उल्कापिंड की मिट्टी जैसी सामग्री में प्रचुर मात्रा में पानी संजोया हुआ था।

यह एक अहम खोज है क्योंकि अंतरिक्ष में पानी की उपलब्धता सीमित होती है। ऐसे में पानी के इतने स्रोत की खोज बेहद महत्वपूर्ण है।

2. कार्बन और अन्य रसायन

सैंपल में कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर और फॉस्फोरस जैसे तत्व भी मौजूद थे। ये सभी जीवन के लिए आवश्यक रसायन हैं।

3. फॉस्फेट

सबसे चौंकाने वाली खोज में से एक यह रही कि सैंपल में फॉस्फेट की उच्च सांद्रता मिली। ऐसा पहले कभी किसी उल्कापिंड में नहीं देखा गया।

फॉस्फेट आमतौर पर समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों में ही इतनी अधिक मात्रा में पाया जाता है। उदाहरण के लिए, शनि के चंद्रमा एन्सेलाडस में पृथ्वी की तुलना में कहीं अधिक फॉस्फेट है।

ऐसे में, फॉस्फेट की इतनी अधिक मात्रा एक संकेत है कि शायद यह उल्कापिंड कभी किसी जलपृष्ठीय ग्रह का हिस्सा रहा होगा।

\उल्कापिंड का पानी कहाँ से आया?

उल्कापिंड में इतने पानी और जीवनसृजक तत्वों की उपस्थिति ने वैज्ञानिकों को चकित कर दिया है। वे अनुमान लगा रहे हैं कि शायद यह उल्कापिंड कभी किसी पानी वाली दुनिया का हिस्सा रहा होगा।

कुछ सिद्धांत इस प्रकार हैं:

पृथ्वी-जैसे ग्रह का हिस्सा

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि शायद बेन्नू कभी किसी पृथ्वी-जैसे ग्रह का हिस्सा रहा होगा। इस ग्रह पर पानी और वायुमंडल मौजूद था और किसी कारणवश यह उल्कापिंड उससे अलग हो गया।

समुद्री चंद्रमा

कुछ अन्यों का मानना है कि यह किसी बड़े गैसीय ग्रह के पानी वाले चंद्रमा का हिस्सा हो सकता है, जिससे यह किसी क्षुद्रग्रह की टक्कर से अलग हो गया।

चूंकि बेन्नू की सतह पर क्रेटर और मैदान मौजूद हैं, इसलिए यह सिद्धांत ठीक लगता है।

क्षुद्रग्रह के टूटने से

एक और संभावना यह है कि बेन्नू वास्तव में किसी बड़े क्षुद्रग्रह का टुकड़ा है जो किसी टक्कर के कारण टूट गया।

इस क्षुद्रग्रह में पानी की उपस्थिति रही होगी और टूटने पर बेन्नू जैसे छोटे-छोटे उल्कापिंड बने। इसीलिए बेन्नू में भी पानी और जीवनसृजक तत्व मिले।

चाहे कौन सा भी सिद्धांत सही हो, एक बात स्पष्ट है कि बेन्नू कभी पृथ्वी की तरह किसी आद्र ग्रह का अंग रहा है। वहां से अलग होने के बाद यह सौरमंडल में पहुंचा।

आगे के अध्ययन से इसके बारे में और जानकारी मिलेगी।

उल्कापिंड बेन्नू से क्या सीखा जा सकता है?

उल्कापिंड बेन्नू का अध्ययन कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है:

1. सौरमंडल की उत्पत्ति

यह हमें सौर मंडल के शुरुआती दिनों के बारे में जानकारी दे सकता है। 4.5 अरब साल पहले की सामग्री को संजोए होने के कारण यह एक तरह का “टाइम कैप्सूल” ही है।

2. जीवन की उत्पत्ति

पानी और कार्बन जैसे जीवनोपयोगी तत्वों की प्रचुरता यह भी बता सकती है कि जीवन कैसे और कहां से शुरू हुआ।

3. अंतरिक्ष में संसाधन

उल्कापिंड और क्षुद्रग्रहों में पानी और खनिजों का भंडार हो सकता है। यह हमें भविष्य में अंतरिक्ष में संसाधनों को एक्सेस करने में मदद करेगा।

4. दूसरे ग्रहों पर जाने की संभावना

बेन्नू जैसे उल्कापिंड ही किसी दिन हमें किसी दूसरे सौर मंडल में जाने का साधन प्रदान कर सकते हैं।

इसलिए, उल्कापिंड का अध्ययन करना और उनपर मिशन भेजना बेहद ज़रूरी है।

भविष्य में और अध्ययन

फिलहाल तो वैज्ञानिक उल्कापिंड से लाए गए सैंपल का अध्ययन कर ही रहे हैं। भविष्य में बेन्नू पर और भी मिशन भेजे जा सकते हैं ताकि इसके बारे में और जानकारी हासिल की जा सके।

नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां तो पहले से ही बेन्नू पर मिशन की योजनाएं बना रही हैं। 2026 में नासा का Psyche मिशन एक ऐसे लौह-निकल क्षुद्रग्रह की ओर रवाना होगा जिस पर बेन्नू की तरह पानी और खनिज होने का अनुमान है।

साथ ही, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी भी 2028 में बेन्नू की ओर Hera मिशन भेजेगी। ये मिशन बेन्नू के बारे में हमारी समझ को और बेहतर करेंगे।

उल्कापिंडों और क्षुद्रग्रहों की आगे की खोज हमें सौर मंडल, जीवन की उत्पत्ति और नए संसाधनों के बारे में और अधिक जानकारी देगी।

यह क्षेत्र अभी बहुत से रहस्यों से भरा हुआ है और उल्कापिंड बेन्नू जैसे मिशन इन रहस्यों को सुलझाने में मदद करेंगे।

प्रश्न और उत्तर (

प्रश्न 1: उल्कापिंड बेन्नू क्या है?

उत्तर: बेन्नू एक पत्थरीला उल्कापिंड है जो सूर्य की परिक्रमा कर रहा है। नासा ने इसपर एक मिशन भेजा था।

प्रश्न 2: बेन्नू से सैंपल कैसे लाए गए?

उत्तर: नासा के OSIRIS-REx मिशन ने 2023 में बेन्नू से 200 ग्राम से अधिक सामग्री एकत्र की और पृथ्वी पर लाई।

प्रश्न 3: बेन्नू के सैंपल में क्या मिला?

उत्तर: सैंपल में पानी, कार्बन और फॉस्फेट जैसे पदार्थ पाए गए।

प्रश्न 4: ये किस बात का संकेत है?

उत्तर: इसका मतलब यह है कि शायद बेन्नू किसी समुद्री ग्रह का हिस्सा रहा है।

प्रश्न 5: बेन्नू का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: बेन्नू सौरमंडल के इतिहास और जीवन की उत्पत्ति के बारे में बता सकता है।

प्रश्न 6: बेन्नू पर आगे क्या अध्ययन होगा?

उत्तर: नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी बेन्नू पर और मिशन भेजने की योजना बना रही हैं।

प्रश्न 7: क्या बेन्नू जैसे उल्कापिंड हमें नई दुनिया में ले जा सकते हैं?

उत्तर: हां, बेन्नू जैसे उल्कापिंडों का इस्तेमाल एक दिन हमें अंतरिक्ष यात्रा के लिए किया जा सकता है।

निष्कर्ष

  • उल्कापिंड बेन्नू से नासा द्वारा लाए गए सैंपल के अध्ययन से कई रोचक तथ्य सामने आए हैं
  • सैंपल में पानी और जीवनसृजक तत्वों की प्रचुरता देखी गई
  • ऐसा लगता है कि बेन्नू किसी समुद्री ग्रह से अलग हुआ है जहां पानी और जीवन था
  • बेन्नू जैसे उल्कापिंड हमें सौरमंडल के इतिहास और जीवन के स्रोत के बारे में बता सकते हैं
  • भविष्य में इस पर और अध्ययन होने से कई रहस्यों का खुलासा होगा
  • उल्कापिंड बेन्नू एक प्राचीन समुद्री दुनिया का अवशेष है
  • इसमें पानी और जीवन के संकेत मिले हैं
  • यह सौरमंडल की उत्पत्ति का रहस्य बता सकता है
  • इस तरह के उल्कापिंड ही हमें नई दुनियाओं की खोज करने में मदद कर सकते हैं

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