‘अरविंद केजरीवाल की जेल यात्रा और “हाउ प्राइम मिनिस्टर डिसाइड”(How Prime Ministers Decide )पुस्तक समीक्षा’
ED के रिमांड के बाद अब कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल भेजा है । केजरीवाल ने जेल में रहते हुए तीन किताबें ( रामायण, महाभारत और नीरजा चौधरी द्वारा लिखित “हाउ प्राइम मिनिस्टर डिसाइड” ) पढ़ने की मांग कोर्ट से की जय
लोगो के बीच नीरजा चौधरी द्वारा लिखित “हाउ प्राइम मिनिस्टर डिसाइड” (How Prime Ministers Decide )को लेकर काफी उत्सुकता बढ़ गयी है , लोग इस किताब को search करना भी शुरू कर दिए है। चलिए आज इस किताब के बारे में एक संक्षिप्त review करते है।
ये पुस्तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों के कार्यकालों और उनके निर्णयों पर विस्तार से बात करती है।
आइए चलिए इस किताब पर चर्चा शुरू करते है :
कौन है नीरजा चौधरी ?
नीरजा चौधरी एक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने लगभग 40 वर्षों तक भारत के विभिन्न प्रधानमंत्रियों और राजनीति को कवर किया है। उनका यह अनुभव उनके पुस्तक हाउ प्राइम मिनिस्टर डिसाइड में झलकता है।
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हाउ प्राइम मिनिस्टर डिसाइड(How Prime Ministers Decide ) पुस्तक का मुख्य विषय
यह पुस्तक मुख्य रूप से छह पूर्व प्रधानमंत्रियों के कार्यकालों पर केंद्रित है:
- इंदिरा गांधी
- राजीव गांधी
- वी.पी. सिंह
- पी.वी. नरसिम्हा राव
- अटल बिहारी वाजपेयी
- मनमोहन सिंह
पुस्तक में उनके निर्णयों, रणनीतियों, व्यक्तिगत संघर्षों और राजनीतिक लाभों पर विस्तार से चर्चा की गई है जिनसे उनके कार्यों को प्रभावित हुआ।
हाउ प्राइम मिनिस्टर डिसाइड (How Prime Ministers Decide ) के मुख्य बिंदु
इस किताब के इन Prime Ministers को लेकर विस्तृत चर्चा किया गया है :
1. इंदिरा गांधी की आपातकाल के बाद की वापसी
पुस्तक में इंदिरा गांधी की आपातकाल के बाद की शानदार वापसी पर विस्तार से चर्चा की गई है। उन्होंने अपने विरोधियों जैसे जय प्रकाश नारायण और राज नारायण से भी संपर्क किया और अपनी आलोचना को कम करने में कामयाब रहीं।
2. राजीव गांधी और विवादित निर्णय
पुस्तक में राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान लिए गए विवादित निर्णयों जैसे शाहबानो केस और बाबरी मस्जिद के तालों को खोलने पर भी प्रकाश डाला गया है। इन निर्णयों का विपरीत प्रभाव पड़ा।
3. वी.पी. सिंह का मंडल गेम
वी.पी. सिंह के मंडल गेम के बारे में भी विस्तार से बताया गया है, जिससे देश की राजनीति हमेशा के लिए बदल गई। इस दौरान मंदिर राजनीति भी उभरी।
4. बाबरी मस्जिद विध्वंस – नरसिम्हा राव और वाजपेयी की कहानी
पुस्तक में पी.वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल, खासकर बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान हुई घटनाओं का विस्तृत विवरण दिया गया है। साथ ही उनके और अटल बिहारी वाजपेयी के रिश्तों पर भी प्रकाश डाला गया है। राव ने वाजपेयी को परमाणु परीक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया था।
5. मनमोहन सिंह और आर्थिक सुधार
मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधारों और उनके प्रयासों पर भी विचार किया गया है, जिनसे वे भारत की विदेश नीति को आकार देना चाहते थे।
6. नरेंद्र मोदी का अलग तरीका
चौधरी ने मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय लेने के तरीके को उनके पूर्ववर्तियों से बिलकुल अलग बताया है। वे मानती हैं कि मोदी के कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में पूरी जानकारी आने में समय लगेगा।
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भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियां
पुस्तक के अंतिम अध्यायों में भारतीय लोकतंत्र की स्थिति और इसके सामने आने वाली चुनौतियों पर गहरा विचार किया गया है। यहां प्रमुख बिंदु हैं:
- नेतृत्व की भूमिका पर सवाल
- गठबंधन राजनीति की चुनौतियां
- लोकतांत्रिक संस्थानों की सुरक्षा का महत्व
- जवाबदेही बनाम भ्रष्टाचार का मुद्दा
‘हाउ प्राइम मिनिस्टर डिसाइड‘(How Prime Ministers Decide ) पुस्तक में शामिल प्रधानमंत्री और उनके कार्यकाल
प्रधानमंत्री | कार्यकाल |
---|---|
इंदिरा गांधी | 1966-1977, 1980-1984 |
राजीव गांधी | 1984-1989 |
वी.पी. सिंह | 1989-1990 |
पी.वी. नरसिम्हा राव | 1991-1996 |
अटल बिहारी वाजपेयी | 1996, 1998-2004 |
मनमोहन सिंह | 2004-2014 |
लेखिका नीरजा चौधरी के अनुसार पुस्तक का महत्व
नीरजा चौधरी के अनुसार, इस पुस्तक को पढ़ना जरूरी है क्योंकि:
- राजनीतिक इतिहास का वर्णन: यह पुस्तक भारत के राजनीतिक इतिहास का वर्णन करती है और बताती है कि प्रधानमंत्रियों के निर्णय कैसे देश की दिशा तय करते रहे हैं।
- पिछली सरकारों की कमियां: इससे आगे की सरकारें पिछली सरकारों की कमियों से सबक ले सकती हैं और उन्हें दोहराने से बच सकती हैं।
- निर्णय लेने की प्रक्रिया समझना: पुस्तक प्रधानमंत्रियों की निर्णय लेने की प्रक्रिया को समझने में मदद करती है।
- भारतीय लोकतंत्र की समझ: यह लोकतंत्र की स्थिति और इसके सामने आने वाली चुनौतियों पर गहरी दृष्टि डालती है।
पुस्तक की शैली और सुलभता
- चौधरी की पत्रकारिता पृष्ठभूमि से उनकी लिखने की शैली बहुत मनोरंजक और सरल है।
- पुस्तक जटिल राजनीतिक मुद्दों को भी आसान भाषा में समझाती है।
- यह भारत के इतिहास और राजनीति से रुचि रखने वालों के लिए एक जरूरी पठन है।
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कुछ प्रश्न और उत्तर (FAQs)
प्र: अरविंद केजरीवाल ने जेल में क्यों इस पुस्तक को पढ़ना चाहा?
उत्तर: इस पुस्तक को पढ़कर केजरीवाल प्रधानमंत्रियों के निर्णय लेने के तरीकों और इससे पड़ने वाले राष्ट्रव्यापी प्रभावों को समझना चाहते थे। उनके जैसे राजनेता के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है।
प्र: इंदिरा गांधी की आपातकाल के बाद की वापसी किस प्रकार हुई?
उत्तर: पुस्तक के अनुसार, आपातकाल के बाद हारने के बावजूद इंदिरा गांधी ने अपने विरोधियों से संवाद किया और उनकी आलोचना को कम करने में सफल रहीं, जिससे उन्हें राजनीति में वापसी मिली।
प्र: राजीव गांधी के कार्यकाल की क्या विशेषताएं थीं?
उत्तर: पुस्तक राजीव गांधी के शाहबानो केस और बाबरी मस्जिद जैसे विवादास्पद निर्णयों पर प्रकाश डालती है, जिनका दोनों धर्मों के लोगों पर विपरीत असर पड़ा।
प्र: वी.पी. सिंह के मंडल गेम से क्या परिवर्तन आया?
उत्तर: वी.पी. सिंह के मंडल गेम से देश की राजनीति हमेशा के लिए बदल गई। इस दौर में मंदिर राजनीति भी उभरी।
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प्र: पुस्तक में नरसिम्हा राव और वाजपेयी के रिश्ते के बारे में क्या कहा गया है?
उत्तर: पुस्तक बताती है कि नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी एक-दूसरे के करीबी थे। राव ने वाजपेयी को परमाणु परीक्षण करने के लिए प्रेरित किया था।
प्र: मनमोहन सिंह की उपलब्धियों पर क्या प्रकाश डाला गया है?
उत्तर: पुस्तक में मनमोहन सिंह द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों और उनके भारत की विदेश नीति को आकार देने के प्रयासों पर चर्चा की गई है।
प्र: नरेंद्र मोदी के निर्णय लेने के तरीके के बारे में पुस्तक में क्या कहा गया है?
उत्तर: लेखिका नीरजा चौधरी मानती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय लेने का तरीका उनके पूर्ववर्तियों से पूरी तरह अलग है। मोदी के कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों की जानकारी आने में समय लग सकता है क्योंकि उनके करीबी लोग अभी मुखर नहीं हो रहे हैं।
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निष्कर्ष
नीरजा चौधरी द्वारा लिखित “हाउ प्राइम मिनिस्टर डिसाइड”(How Prime Ministers Decide ) पुस्तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों की शानदार कहानियों और उनके महत्वपूर्ण निर्णयों को उजागर करती है। इसमें इंदिरा गांधी की आपातकाल के बाद वापसी से लेकर मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधारों तक सभी बड़े मुद्दों पर विचार किया गया है।
यह पुस्तक न सिर्फ भारत के राजनीतिक इतिहास को समझने में मदद करती है, बल्कि लोकतंत्र की चुनौतियों और भविष्य पर भी गंभीरता से विचार करने को प्रेरित करती है। अरविंद केजरीवाल द्वारा जेल में इसे पढ़ने की मांग से भी इसके महत्व को समझा जा सकता है। निश्चित रूप से यह भारतीय राजनीति के शौकीनों के लिए एक अनिवार्य पठन है।
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