अनुमति के बिना वॉलेट सेवा चलाने पर RBI का एक्शन, टॉकचार्ज (Talkcharge) को 15 दिन में वापस करने होंगे यूजर्स के पैसे
भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) ने कड़ी कार्रवाई करते हुए टॉकचार्ज टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (Talkcharge Technologies Private Limited ) को निर्देश दिया है कि वह 15 दिनों के भीतर यूजर्स के वॉलेट में पड़ी शेष राशि वापस करे। आरबीआई (RBI) द्वारा अनुमति लिए बिना ही प्रीपेड भुगतान उत्पाद (पीपीआई) जारी करने के मामले में गुरुग्राम स्थित टॉकचार्ज ( Talkcharge) पर यह कार्रवाई की गई है। रिजर्व बैंक ने अप्रैल के शुरु में ही यह निर्देश जारी कर दिया था लेकिन कंपनी के अनुरोध पर राशि लौटाने की समय सीमा को बढ़ाकर 17 मई 2024 कर दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को जानकारी मिली थी कि हरियाणा के गुरुग्राम स्थित टॉकचार्ज टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ( Talkcharge Technologies Private Limited ) ने भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत जरूरी लाइसेंस और अनुमति लिए बगैर ही अपनी वेबसाइट और ‘टॉकचार्ज'( Talkcharge) मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से प्रीपेड भुगतान उत्पाद (वॉलेट सर्विस) जारी कर रखी थी।
आरबीआई (RBI) द्वारा यह जानकारी मिलने के बाद उसने 2 अप्रैल 2024 को ही टॉकचार्ज ( Talkcharge) को पीपीआई (PPI) या वॉलेट जारी करना और संचालन तुरंत बंद करने के निर्देश जारी कर दिए थे। साथ ही कंपनी को 15 दिनों के भीतर यूजर्स के वॉलेट में पड़ी शेष राशि वापस करने को भी कहा गया था।
आरबीआई(RBI) का सख्त रुख क्यों?
रिजर्व बैंक ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि वह किसी भी तरह की अनधिकृत गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि लोगों को कहीं भी पैसा देने से पहले यह जरूर देख लेना चाहिए कि वे जिस वेबसाइट, मोबाइल एप्लिकेशन या इकाई का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह इस तरह की गतिविधियों के लिए अधिकृत है या नहीं।
इसके अलावा, आरबीआई (RBI) ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसने सिर्फ टॉकचार्ज ( Talkcharge) को यूजर्स के वॉलेट में पड़ी शेष राशि लौटाने का निर्देश दिया है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टॉकचार्ज ने अपने ग्राहकों को एक नोटिस भी भेजा था जिसमें उन्हें कंपनी की सेवाओं का इस्तेमाल करने पर मिले कैशबैक राशि को वापस करने के लिए कहा गया था।
गूगल प्ले स्टोर पर भी मिली शिकायतें
टॉकचार्ज ( Talkcharge) एप को गूगल प्ले स्टोर पर भी खराब रेटिंग मिली है। वहां इस एप को सिर्फ 1.6 स्टार रेटिंग दी गई है जो बताता है कि लगभग सभी यूजर्स इसकी सेवा से परेशान रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी टॉकचार्ज ( Talkcharge) एप के खिलाफ लगातार शिकायतें मिलती रही हैं।
कई यूजर्स ने इस एप पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि कंपनी इस एप के जरिए लोगों से बड़े स्तर पर धोखाधड़ी (स्कैम) कर रही है।
क्या होता है प्रीपेड भुगतान इंस्ट्रूमेंट?
प्रीपेड भुगतान इंस्ट्रूमेंट (PPI) एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जिसमें पहले से ही पैसा लोड किया जाता है। इसके बाद इसका उपयोग भुगतान करने के लिए किया जाता है। दरअसल, पीपीआई को एक वर्चुअल वॉलेट के तौर पर देखा जा सकता है।
भारतीय उपभोक्ता आज कल खरीददारी करते समय पीपीआई (PPI) का बहुत इस्तेमाल करते हैं। पेटीएम, फ्री चार्ज, मोबीक्विक और फोनपे जैसी कंपनियां उपभोक्ताओं को प्रीपेड भुगतान इंस्ट्रूमेंट की सेवाएं देती हैं।
लेकिन इन सभी कंपनियों को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से लाइसेंस लेना जरूरी होता है। बिना लाइसेंस के ऐसी सेवा देना गैरकानूनी माना जाता है। यही वजह है कि आरबीआई (RBI) ने टॉकचार्ज ( Talkcharge) पर कड़
आरबीआई के नियमों का पालन करना क्यों जरूरी है?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश में बैंकिंग और वित्तीय गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला शीर्ष निकाय है। इसलिए इसके द्वारा बनाए गए नियमों और विनियमों का पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है। ये नियम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और वित्तीय प्रणाली में स्थिरता बनाए रखने के लिए बनाए जाते हैं।
जब कोई कंपनी या संस्था आरबीआई (RBI) की अनुमति के बिना ही बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं देने लगती है तो यह उपभोक्ताओं के हितों के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसी स्थिति में धोखाधड़ी और अन्य अवैध गतिविधियों का खतरा बढ़ जाता है।
साथ ही, अगर सभी आरबीआई (RBI) के नियमों का पालन न करें तो यह वित्तीय बाजार में अराजकता और अनिश्चितता पैदा कर सकता है। इसलिए उपभोक्ता हितों और वित्तीय स्थिरता के लिए आरबीआई (RBI) के नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है।
केस स्टडी – पेटीएम पर लगा था प्रतिबंध
हाल में ही आरबीआई (RBI) ने पेटीएम (Paytm) पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। तब पेटीएम पेमेंट बैंक लिमिटेड को नए डिजिटल वॉलेट जारी करने और आउटबाउंड फंड ट्रांसफर सेवा देने पर रोक लगा दी गई थी।
आरबीआई (RBI) ने यह कार्रवाई पेटीएम द्वारा आउटसोर्सिंग के दिशा-निर्देशों का पालन न करने के कारण की थी। दरअसल, पेटीएम डेटा प्रोसेसिंग के लिए अपनी मालिक कंपनी के साथ ही थर्ड पार्टी वेंडरों पर भी निर्भर था जो नियमों के विरुद्ध था।
इस प्रकरण से साफ होता है कि कितना भी बड़ा ब्रैंड हो, लेकिन आरबीआई (RBI) के नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। ऐसा न करने पर आरबीआई (RBI) को कडे़ कदम उठाने पड़ सकते हैं।
ऑनलाइन लेनदेन में सावधानी कैसे बरतें?
आज के डिजिटल युग में बैंकिंग और वित्तीय लेनदेन का बड़ा हिस्सा ऑनलाइन माध्यमों से होता है। इसमें वॉलेट, मोबाइल बैंकिंग, नेट बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट एप शामिल हैं। इन सुविधाओं को इस्तेमाल करते समय कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी होता है।
- सत्यापित एप्लिकेशन और वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें – किसी भी ऑनलाइन लेनदेन के लिए सिर्फ प्रमाणित और विश्वसनीय एप्लिकेशन या वेबसाइट का ही उपयोग करें। बिना लाइसेंस वाली कंपनियों से सावधान रहें।
- कैशबैक और छूट का झांसा न दें – कई बार कंपनियां फ्री कैशबैक या अत्यधिक छूट देने का झांसा देकर ग्राहकों को लुभाती हैं। ऐसे लालच में न आएं।
- महत्वपूर्ण जानकारी नहीं साझा करें – लेनदेन के दौरान अपना पासवर्ड, OTP या अन्य निजी जानकारी किसी के साथ साझा न करें। साइबर ठगों से बचें रहें।
- लेनदेन की पुष्टि करें – हर बार लेनदेन करने के बाद उसकी पुष्टि जरूर करें। अगर कोई असामान्य गतिविधि दिखे तो तुरंत संबंधित कंपनी से संपर्क करें।
जानकार बने और सतर्क रहें
आज के समय में डिजिटल लेनदेन और वित्तीय गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को अपने हितों की रक्षा के लिए जागरूक रहना बेहद जरूरी है। वे लगातार खुद को डिजिटल साक्षर बनाएं रखें ताकि कोई भी उन्हें ठग न सके।
आरबीआई (RBI) द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देश और अलर्ट को सावधानीपूर्वक पढ़ें। साथ ही फेक न्यूज और अफवाहों से दूर रहें। जब भी कोई नया फाइनेंशियल प्रोडक्ट या सेवा मिले तो उसके बारे में गहराई से जान लेना बेहतर होगा।
इस तरह से सतर्क रहकर ही हम अपने पैसे और वित्तीय लेनदेन को सुरक्षित रख सकते हैं। साथ ही किसी भी तरह की धोखाधड़ी से भी बच सकेंगे।
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (FAQs )
Q1: प्रीपेड भुगतान इंस्ट्रूमेंट क्या होता है?
A1: प्रीपेड भुगतान इंस्ट्रूमेंट ((PPI) एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान साधन होता है जिसमें पहले से ही निश्चित राशि लोड की जाती है। इसके बाद इसका उपयोग विभिन्न लेनदेन के लिए किया जा सकता है। इसे एक वर्चुअल वॉलेट की तरह भी देखा जा सकता है।
Q2: आरबीआई (RBI) से लाइसेंस लेना क्यों जरूरी है?
A2: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश में सभी बैंकिंग और वित्तीय गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला शीर्ष निकाय है। इसके द्वारा बनाए गए नियमों और विनियमों का पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है। इसलिए किसी भी कंपनी को प्रीपेड भुगतान उत्पाद या वॉलेट सेवा शुरू करने के लिए आरबीआई (RBI) से पहले लाइसेंस लेना जरूरी होता है।
Q3: टॉकचार्ज ( Talkcharge) पर क्यों हुई कार्रवाई?
A3: गुरुग्राम स्थित कंपनी टॉकचार्ज टेक्नोलॉजीज प्रा. लि. ने भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम के तहत आरबीआई से लाइसेंस लिए बिना ही अपनी वेबसाइट और मोबाइल एप के जरिए प्रीपेड भुगतान उत्पाद (वॉलेट सेवा) शुरू कर रखी थी। जब आरबीआई (RBI) को इसकी जानकारी मिली तो उसने कड़ी कार्रवाई करते हुए कंपनी को यह सेवा बंद करने और यूजर्स के वॉलेट में पड़े पैसे लौटाने के निर्देश दिए।
Q4: आरबीआई (RBI) द्वारा कार्रवाई का उद्देश्य क्या है?
A4: आरबीआई (RBI) का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है। यही वजह है कि वह किसी भी अनधिकृत वित्तीय गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करता है। अगर बिना लाइसेंस वॉलेट या भुगतान सेवा दी जाती है तो इससे धोखाधड़ी और अन्य अवैध गतिविधियों का खतरा बढ़ जाता है।
Q5: ऑनलाइन लेनदेन में सावधानियां क्या हैं?
A5: ऑनलाइन लेनदेन और डिजिटल भुगतान के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी जरूरी होती हैं जैसे:
- सिर्फ सत्यापित और विश्वसनीय एप्लिकेशन का ही इस्तेमाल करें
- कैशबैक/छूट के झांसे में न आएं
- महत्वपूर्ण जानकारी को साझा न करें
- हर लेनदेन की पुष्टि करें
- आसानी से किसी का झांसा न खाएं
Q6: टॉकचार्ज ( Talkcharge) के खिलाफ शिकायतें किन माध्यमों से मिलीं?
A6: टॉकचार्ज ( Talkcharge) के खिलाफ शिकायतें सोशल मीडिया और गूगल प्ले स्टोर से लगातार मिलती रही थीं। लोगों का आरोप था कि कंपनी इस एप के जरिए लोगों से बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी कर रही है। इसी वजह से गूगल प्ले स्टोर पर इस एप को सिर्फ 1.6 रेटिंग ही मिली।
Q7: क्या आरबीआई (RBI) ने सिर्फ टॉकचार्ज ( Talkcharge) के खिलाफ ही कार्रवाई की है?
A7: नहीं, बिलकुल नहीं। आरबीआई (RBI) समय-समय पर ऐसी कई कंपनियों पर कार्रवाई करता रहता है जो बिना उसकी अनुमति के अवैध तरीके से वित्तीय सेवाएं देती हैं। पिछले साल ही डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था क्योंकि वह आरबीआई (RBI) के आउटसोर्सिंग नियमों का पालन नहीं कर रही थी।
निष्कर्ष ( Conclusions)
समग्र रूप से देखा जाए तो आरबीआई(RBI) का यह कदम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और वित्तीय बाजार में नियमित व्यवस्था बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी था। आज के डिजिटल युग में वित्तीय धोखाधड़ी का खतरा बहुत अधिक बढ़ गया है। ऐसे में सरकारी नियामकों को सख्त कदम उठाना ही होगा। उपभोक्ताओं को भी जागरूक रहना होगा और किसी भी तरह का लालच नहीं देना चाहिए। वित्तीय सुरक्षा के लिए ये सभी चीजें बेहद महत्वपूर्ण हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहतर होगा। ‘हिंदी विनी मीडिया’ (Hindi Wini Media) किसी भी तरह की वित्तीय क्षति के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।
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