Cervical Cancer (गर्भाशय ग्रीवा कैंसर) महिलाओं में सबसे आम कैंसर में से एक है और यह प्रायः असमय में जान ले लेता है।
मानव पेपिलोमावायरस (HPV) संक्रमण इसकी प्रमुख वजह है, जो यौन संपर्क से फैलता है।
बहुत कम उम्र में
पहली गर्भावस्था,धूम्रपान और इम्युनोडेफिशिएंसी भी Cervical Cancer के जोखिम बढ़ाते हैं।
लक्षण हैं असामान्य रक्तस्राव, संभोग दर्द, योनि से स्राव आदि जिनकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
पैप स्मियर टेस्ट और एचपीवी (HPV ) डीएनए टेस्ट से जल्दी पता चलता है, नियमित जांच जरूरी है।
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एचपीवी वैक्सीन लेने से महिलाओं में इस कैंसर के खतरे को 70% तक कम किया जा सकता है।
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प्रारंभिक स्टेज पर ईंट्रा केविटरी रेडिएशन थेरेपी, किमोथेरेपी, सर्जरी से अच्छा इलाज मिल सकता है।
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बढ़े स्टेज में रेडिएशन और कीमोथेरेपी विकल्प होते हैं लेकिन मुश्किलें भी बढ़ती हैं।
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प्रारंभिक स्टेज तक पहुंचने के 5 साल बाद ही मरीज़ पूरी तरह से सुरक्षित मानी जाती है।
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सावधानी बरतने और नियमित स्क्रीनिंग से बचाव संभव है लेकिन लोगों में जागरूकता कम है।
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योनि से लगातार स्राव, काली रगड़ आना, परिच्छेदक दर्द, सफेद धब्बे आदि लक्षणों पर गौर करना चाहिए।
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महिलाओं को जोखिम कारकों के प्रति सचेत होने और नियमित जांच करवाने की जरूरत है।
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जीवन शैली, खानपान और प्रतिरक्षा शक्ति को भी इस बीमारी से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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कैंसर के प्रारंभिक चरण में पता चलने से ही इलाज आसान और बचाव संभव है।
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गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से जुड़े सभी कारकों और लक्षणों के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है।
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